एमपी के इंदौर की तीन वर्षीय वियांशी ने बनाया गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड
MP News: एमपी इंदौर की महज तीन वर्षीय बच्ची ने गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड बनाया है। यह खिताब वियांशी ने हनुमना चालीसा का एकल पाठन करने में बनाया है।
एमपी इंदौर की महज तीन वर्षीय बच्ची ने गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड बनाया है। यह खिताब वियांशी ने हनुमना चालीसा का एकल पाठन करने में बनाया है। वियांशी दुनिया में सबसे कम उम्र में यह पाठ करने के लिए रिकार्ड अपने नाम किया है। बच्ची के गिनीज बुक का खिताब अपने नाम करने का असली श्रेय उनके माता और पिता को जाता है।
पूरी हनुमान चालीसा सीख लिया
बच्ची के माता-माता का कहना है कि वियांशी को किताबों का शौक प्रारंभ से ही था। हमें उसमें आध्यात्मिक मूल्यों को भी विकसित करना था। घर में पूजा-पाठ के दौरान वह सभी से प्रभावित थी। इस दौरान वह अपने ताउजी और उनके साथ हनुमान चालीसा सुनती थी। जिससे उसने पूरी हनुमान चालीसा सीख ली। ढाई वर्ष की उम्र में ही उसने आधे से ज्यादा हनुमान चालीसा को याद कर लिया किंतु उसकी आवाज साफ नहीं होने के कारण थोड़ा इंतजार करना पड़ा। इसके लिए उसकी पहली किताबों में से एक ‘मेरी पहली हनुमान चालीसा‘ मिली, जिसमें चित्र, अर्थ और अंग्रेजी अनुवाद थे।
प्रदेश के साथ देश का नाम किया रोशन
वियांशी को उनकी मां प्रतिदिन बेटी को हनुमान चालीसा पढ़ाती थीं। उनके पिता भी दैनिक अभ्यास के दौरान सुबह उसे यह पाठ सुनाया करते थे। वियांशी के शब्द धीरे-धीरे साफ होते गए और वह पूरी चालीसा पढ़ लेती थी। जिसके बाद यह पता चला कि वह अकेली है जिसने इतनी कम उम्र में चालीसा का पाठ किया है। गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड जीतकर बच्ची ने परिजनों सहित प्रदेश व देश का नाम रोशन किया है।
माता-पिता ने बनाए रखा लर्निंग माहौल
इंदौर की तीन वर्षीय बच्चे वियांशी बहेती की मां दीपाली और पिता अमित बहेती के मुताबिक दोनों अपने कामकाज में व्यस्त रहते हैं किंतु वह बेटी को भी बराबर वक्त देते हैं। उनका कहना है कि बच्चों को पांच-सात वर्ष की उम्र तक जो कुछ सिखाया जाता है वह उनके दिमाग में रह जाता है। इसलिए उनके आसपास पॉजिटिव और लर्निंग माहौल बनाए रखना होगा। यही माहौल उनके अंदर क्रिएटीविटी और दिमागी शक्ति को विकसित करता है। इसके साथ ही बच्चों की तर्कशक्ति और उनके व्यवहार की परख भी यहीं से होती है। उनका कहना है कि आज की पीढ़ी को हमारे संस्कृति और संस्कारों का ज्ञान होना जरूरी है जिससे वह सही दिशा में जाकर अपना मुकाम हासिल कर सकें। बच्ची की माता-पिता ने वियांशी को बराबर वक्त दिया और उसे संस्कार सिखाया जिससे वह यह मुकाम हासिल कर सकी।