एमपी के इंदौर में पहली बार एफडीआर तकनीक से बनाई जाएगी सड़क, सस्ती के साथ होगी कई गुना मजबूत

मध्यप्रदेश में एफडीआर तकनीक का इस्तेमाल कर पहली बार सड़क का निर्माण किया जाएगा। इंदौर से इस नवाचार की शुरुआत की जा रही है। प्रदेश में इस तकनीक से बनने वाली यह पहली सड़क होगी।

Update: 2022-12-13 09:10 GMT

मध्यप्रदेश में एफडीआर तकनीक का इस्तेमाल कर पहली बार सड़क का निर्माण किया जाएगा। इंदौर से इस नवाचार की शुरुआत की जा रही है। प्रदेश में इस तकनीक से बनने वाली यह पहली सड़क होगी। इंदौर के प्रमुख पर्यटन स्थलांे में से एक तिंछा फाल तक पहुंचने वाली सड़क का इस पद्धति से निर्माण किया जाएगा। इस सड़क का निर्माण फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक से किया जाएगा।

10 किलोमीटर सड़क का होगा निर्माण

तिल्लौर खुर्द से तिंछा फाल तक एफडीआर पद्धति से सड़क का निर्माण कराया जाएगा। यह लगभग लगभग 10 किलोमीटर लंबाई की होगी। आठ से दस गांव के लोगों द्वारा लंबे समय से उक्त सड़क की मांग की जा रही थी। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत निर्मित होने वाली इस सड़क की चौड़ाई 3.75 मीटर होगी। जिसका डीपीआर भी तैयार कर लिया गया है और टेंडर भी जारी किए जा चुके हैं। गौरतलब है कि तिंछा फॉल, मुहाड़ी फॉल, केवड़ेश्वर महादेव मंदिर जैसे कई पिकनिक स्पॉट इस सड़क के अंतर्गत आते हैं। तिल्लौर खुर्द से तिंछा होते हुए सिमरोल तक जाने के लिए इसी सड़क मार्ग का उपयोग यात्री करते हैं। इतना ही नहीं उदयसनगर, ओखलेश्वर देवनालिया के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर तक जाने वाली सड़क भी इसी मार्ग से होकर गुजरती है। एफडीआर पद्धति से उत्तरप्रदेश व तेलंगाना में सड़कों का निर्माण किया जा चुका है।

एफडीआर पद्धति से ऐसे बनती है सड़क

एफडीआर पद्धति के तहत मौजूदा सड़क को ही केमिकल से ट्रीट करने के साथ ही आवश्यक सामग्री मिलाकर नया बना दिया जाता है। जिससे जहां सड़क का मलबा नहीं निकलता, इसके साथ ही सड़क की लागत भी 30 से 36 प्रतिशत तक घट जाती है। यह एक रिसाइकिलिंग पद्धति है। जिसमें बहुत ही कम संसाधनों में टिकाऊ व मजबूत सड़कें बनाई जा सकती हैं। एफडीआर पद्धति के तहत एक बड़ी मशीन द्वारा सड़क को उखाड़ती है। इसके बाद मशीन में ही मौजूद ड्रम में सड़क के निकले मलबे को केमिकल व अन्य आवश्यक सामग्रियों के साथ मिलाकर नया माल तैयार किया जाता है। इसी मशीन द्वारा नए तैयार किए गए माल को निर्धारित मोटाई में बिछाकर सड़क का निर्माण किया जाता है। जिसके बाद उस पर रोलर घुमाया जाता है। इस प्रक्रिया से बनने वाली सड़क जहां मजबूत होती है तो वहीं इसके निर्माण में कम लागत के साथ ही समय की भी बचत होती है।

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