विंध्य में अप्रत्याशित परिणाम से टारगेट में आए रीवा सम्भायुक्त का तबादला, कलेक्टर समेत इन पर भी गिर सकती है गाज
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रीवा कलेक्टर समेत और भी कइयों का लग सकता है नंबर, कांग्रेसी कार्रवाई से खुश रीवा। सत्ता परिवर्तन होने के साथ ही विंध्य में अफसरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है। सीएम कमलनाथ ने पहली कार्रवाई रीवा सम्भायुक्त के खिलाफ की। उन्हें हटाकर किसी और को तो पदस्थ नहीं किया, लेकिन प्रभार शहडोल कमिश्नर को सौंप दिया। इस कार्रवाई से कांग्रेसियों के हौसलें बुलंद हैं और अधिकारियों के हाथ पैर फूलने शुरू हो गए हैं।
ज्ञात हो कि विंध्य में विधानसभा चुनाव के रिजल्ट ने सभी को चौका दिया है। 24 सीटों पर भाजपा ने ही जीत दर्ज की है। इस परिणाम से ही यहां के अधिकारी कांग्रेस के टारगेट में आ गए थे। कई अधिकारियों पर सरकारी मशीनरी के रूप में काम करने का लगातार आरोप लगाया गया। इसकी शिकायत ऊपर तक पहुंची। अब सत्ता में आने और कमलनाथ के सीएम की शपथ लेने के बाद प्रशासनिक फेरबदल की शुरुआत कर दी गई है।
विंध्य में इसकी शुरुआत रीवा संभाग के मुखिया यानि कमिश्नर रीवा महेशचन्द्र चौधरी से की गई है। कमिश्नर रीवा को यहां से हटाकर मंत्रालय में पदस्थ कर दिया गया है। वहीं रीवा का चार्ज शहडोल कमिश्नर जेके जैन के हवाले कर दिया गया है। इस कार्रवाई के बाद से कई अधिकारी भी टारगेट में आ गए हैं। सभी ने बोरिया बिस्तर पहले से ही बांधना शुरू कर दिया है।
चर्चा है कि कमिश्नर के बाद अब सबसे ऊपर टारगेट में रीवा कलेक्टर प्रीती मैथिल नायक हैं। रीवा कलेक्टर जनता की चहेती हो चुकी हैं, बावजूद इसके उन पर सत्ता परिवर्तन की गाज सबसे पहले गिर सकती है। कांग्रेस रीवा में अपनी इस तरीके की बुरी हार का कारण कलेक्टर को मानती है। इसके अलावा और भी कई विभागीय अधिकारियों की लिस्ट तैयार है। इनमें रीवा जिला पंचायत सीईओ मयंक अग्रवाल, नगर निगम आयुक्त आरपी सिंह, एसडीएम बीके पांडेय, एसडीएम सिरमौर नीलमणि, एसडीएम मऊगंज संस्कृत जैन, एसडीएम ईला तिवारी, डीईओ अंजनी त्रिपाठी, डाइट प्राचार्य श्यामनारायण शर्मा के साथ अन्य अधिकारियों को जल्द ही हटाने के आदेश जारी किए जा सकते हैं।
निर्वाचन आयोग ने लगाई रोंक प्रशासनिक तबादले पर निर्वाचन आयोग ने 26 दिसंबर से 25 जनवरी तक रोक लगा दी है। निर्वाचन आयोग लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गया है इस वजह से आयोग ने किसी भी प्रकार की तबादले पर रोक लगा दिया है। इस कारण इन अधिकारियों पर गाज 26 दिसंबर के पहले ही गिर सकती है।
कांग्रेसी गदगद, बढ़ा दबाव कमिश्नर को हटाने की कार्रवाई से कांग्रेसी गदगद हैं। भले ही रीवा की आठ सीटें भाजपा के हाथों में हों। सत्ता में रहते हुए जिन्होंने अधिकारियों को यहां पदस्थ किया था, अब वह उन्हें बचाने में असक्षम हैं। विधायकों की बोलती तक बंद है और कांग्रेस के नेता हावी हैं।