मैहर की मां शारदा: त्रिकूट पर्वत पर विराजमान, रात में पुजारी तक नहीं रुक सकते; 51 शक्तिपीठों में शामिल रहस्यमयी मंदिर, 50 साल से जल रही अखंड ज्योति
मध्यप्रदेश के मैहर में स्थित मां शारदा का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां मां सती का हार गिरा था। यह मंदिर अपनी रहस्यमयी मान्यताओं, ऐतिहासिकता और अद्वितीय आस्था के लिए प्रसिद्ध है। रात में यहां कोई भी नहीं रुकता, फिर भी सुबह मां का श्रृंगार सजीव मिलता है।
नवरात्रि के छठे दिन मां शक्ति की पूजा विशेष रूप से की जाती है और इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मैहर में स्थित मां शारदा मंदिर की आस्था और महिमा अद्वितीय है। यह मंदिर त्रिकूट पर्वत पर 600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जिसे 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि इसी स्थान पर मां सती का हार गिरा था, इसलिए इस स्थान का नाम 'मैहर' पड़ा। मंदिर की प्रतिमा लगभग 1500 वर्ष पुरानी है और यहां की पौराणिक कथाएं और रहस्यमयी घटनाएं इस स्थान को विशेष बनाती हैं।
मां शारदा मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जाती है, खासकर नवरात्रि के दौरान। सिर्फ नवरात्रि के पांच दिनों में ही तीन लाख से अधिक भक्त मां के दर्शन कर चुके हैं। यहां का वातावरण आस्था और श्रद्धा से परिपूर्ण होता है। मेला क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, जिसमें 650 से अधिक पुलिसकर्मी और सैकड़ों सीसीटीवी कैमरे शामिल हैं।
रात में पुजारी तक नहीं रुक सकते
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि रात में मंदिर के पट बंद होते ही पहाड़ पर कोई नहीं रुकता। पुजारी भी पर्वत से नीचे उतर आते हैं। सुबह जब पट खुलते हैं, तो मां का श्रृंगार पहले से सजा हुआ मिलता है। इसे लेकर मान्यता है कि वीर योद्धा आल्हा और उदल, जो मां के परम भक्त थे, आज भी रोज रात में आकर मां की पूजा करते हैं और उनका श्रृंगार करते हैं।
शिव और शक्ति की कथा से जुड़ा यह मंदिर पौराणिक और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। माता सती का हार गिरने की मान्यता इस मंदिर को अन्य शक्तिपीठों के समान पवित्र बनाती है। शिव पुराण और देवी पुराण में इस कथा का विस्तार से वर्णन है, जिसमें सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव का तांडव और विष्णु द्वारा सती के शरीर के टुकड़ों का गिरना शामिल है।
मंदिर के परिसर में हनुमानजी और भगवान नरसिंह की मूर्तियां भी हैं, जो यहां आने वाले हर भक्त के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इसके अलावा, मंदिर के पीछे स्थित गुफा में पिछले 50 वर्षों से अखंड ज्योति जल रही है, जो मंदिर की आध्यात्मिकता और पवित्रता को बढ़ाती है।
मैहर माता मंदिर में रोजाना तीन आरतियां
- सुबह 5:00 बजे आरती
- शाम 7:00 बजे संध्या आरती
- रात 10:00 बजे शयन आरती
(रोजाना सूर्योदय और सूर्यास्त के समय के अनुसार बदलती रहती हैं)
- मंदिर के पट सुबह 5 बजे खुलते हैं। रात 11 बजे बंद हो जाते हैं। रात में किसी को रुकने की इजाजत नहीं होती।
- रोपवे का इस्तेमाल सुबह 6 बजे से कर सकते हैं।
महाआरती और मेला
साल के दोनों नवरात्रि मां की 9 दिन तक महाआरती की जाती है। इस दौरान मेले का आयोजन भी होता है। जहां खाने-पीने की सामग्री से लेकर पूजा-पाठ और अन्य सामग्रियां मिलती हैं।
वीआईपी दर्शन बंद
प्रशासन ने पिछली बार की तरह इस बार भी मंदिर में वीआईपी दर्शन व्यवस्था पर पाबंदी लगा दी है। जहां सभी श्रद्धालु कतार में लगकर ही दर्शन कर सकते हैं। वाहनों को रोपवे से 500 मीटर की दूरी पर रोक दिया जा रहा है।
माँ शारदा के दर्शन के लिए मैहर कैसे पहुंचें
सड़क मार्ग: सड़क मार्ग से रीवा, कटनी और सतना होकर मैहर पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग: रीवा, सतना और कटनी रेलवे स्टेशन के अलावा मैहर भी एक प्रमुख स्टेशन है। जहां लगभग सभी प्रमुख ट्रेनों का स्टॉपेज होता है।
एयरपोर्ट: अगर आप हवाई मार्ग से मैहर आना चाहते हैं तो प्रयागराज एयरपोर्ट तक हवाई सफर करने के बाद बाकी का सफर सड़क मार्ग से करना होगा।
हेलीकॉप्टर सुविधा: रीवा एयरपोर्ट से 6 सीटर हेलीकॉप्टर अभी भोपाल, इंदौर, सिंगरौली और जबलपुर के बीच चल रहे हैं। जिनसे सफर किया जा सकता है।
रुकने की व्यवस्था: होटल, लाज, रिसॉर्ट और मोटल, ठहरने के लिए मैहर में आसानी से मिल जाते हैं।