लोकसभा चुनाव से ही सीएम कमलनाथ के संपर्क में थे नारायण त्रिपाठी और शरद कोल

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Update: 2021-02-16 06:08 GMT

भोपाल। भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल द्वारा एकाएक कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग करने से सूबे की सियासत एकाएक गरमा गई है। दोनों विधायक लोकसभा चुनाव से ही कमलनाथ के लगातार संपर्क में थे, भाजपा की अनदेखी के चलते कांग्रेस उन्हें लुभाने में सफल रही।

विंध्य अंचल में सफेद शेर के नाम से विख्यात रहे श्रीनिवास तिवारी और उनके बेटे सुंदरलाल तिवारी के दिवंगत होने के बाद से कांग्रेस में ब्राह्मण नेताओं की कमी महसूस होने लगी है। त्रिपाठी के पाला बदलने के पीछे क्षेत्र का ब्राह्मण नेता बनने की ख्वाहिश भी देखी जा रही है।

मध्यप्रदेश विधानसभा में संशोधन विधेयक पर मत विभाजन के दौरान सियासी ड्रामे के तहत विधायक त्रिपाठी एवं कोल सियासी सनसनी बनकर उभरे। दोनों ने सदन के भीतर एकाएक भाजपा का साथ छोड़कर एक संशोधन विधेयक के पक्ष में वोट डालकर एक तरह से कांग्रेस को सहयोग दे डाला। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान ही इस हृदय परिवर्तन का बीज पड़ गया था।

बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद से ही दोनों का भाजपा से मोहभंग होने लगा था। पांच साल पहले त्रिपाठी ने इसी अंदाज में भाजपा का दामन थामा था और करीब डेढ़ साल तक उनकी विधायकी पर भी आंच नहीं आ पाई थी।

सतना के सांसद गणेश सिंह से उनकी लंबे समय से अनबन चल रही थी। चूंकि संगठन खुलकर गणेश सिंह के साथ था, इस बात से नारायण त्रिपाठी दुखी चल रहे थे। हालांकि उन्होंने भाजपा के खिलाफ जाने का ठीकरा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सिर फोड़ा है।

मीडिया से बातचीत में त्रिपाठी ने कहा कि चुनाव के दौरान चौहान ने ढेरों घोषणाएं कर दी थीं पर पूरी नहीं हो पाईं, इस वजह से वे जनता के रोष का कारण बन रहे थे। हालांकि कांग्रेस में उनकी पटरी विंध्य के नेता अजय सिंह के साथ भी नहीं बैठने वाली है। सिंह उनकी वापसी से खुश नहीं बताए जाते हैं। जबकि शरद कोल का पूरा परिवार कांग्रेस में हैं। वे खुद टिकट नहीं मिलने के कारण भाजपा में आए थे। पिछले दिनों कोल समाज के एक सम्मेलन में उन्हें मुख्यमंत्री ने काफी तवज्जो दी थी।

प्रदेश में विंध्य अंचल में आबादी के लिहाज से ब्राह्मण समाज काफी प्रभावी और निर्णायक स्थिति में है। खासतौर पर कांग्रेस संगठन में तिवारी परिवार के बाद ब्राह्मण समाज का सर्वमान्य नेता अब तक कोई नहीं उभर पाया।

कांग्रेस में उपजे इस शून्य को भरने और विंध्य में ब्राह्मण समाज का चेहरा बनने की ख्वाहिश के चलते भी त्रिपाठी ने धमाकेदार अंदाज में अपनी घर वापसी की है। विधानसभा में संख्या बल जुटाने में लगी कमलनाथ सरकार भी त्रिपाठी को इसके लिए पूरी छूट देने के संकेत दे रही है।

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