बेशकीमती हीरा खदान बंद, डायमंड सिटी के रहवासी चिंतित, कर्मचारियों में हड़कंप
पन्ना। मध्यप्रदेश का पन्ना जिला बेशकीमती हीरों के लिये विश्वविख्यात है। पन्ना को डायमंड सिटी के नाम से जाना जाता है। वहीं जिले के मझगवां
बेशकीमती हीरा खदान बंद, डायमंड सिटी के रहवासी चिंतित, कर्मचारियों में हड़कंप
पन्ना। मध्यप्रदेश का पन्ना जिला बेशकीमती हीरों के लिये विश्वविख्यात है। पन्ना को डायमंड सिटी के नाम से जाना जाता है। वहीं जिले के मझगवां स्थित एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना में हीरा उत्पादन नये वर्ष में बंद हो गया है। पन्ना टाइगर रिजर्व क्षेत्र के संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने परियोजना के महाप्रबंधक को पत्र जारी कर 1 जनवरी 2021 से उत्खनन कार्य बंद करने के निर्देश दिये हैं। इस आदेश के बाद से परियोजना में हड़कंप मच गया है। वहीं रहवासी भी चिंतित हो गये है।
बताया जाता है कि एनएमडीसी परियोजना के आसपास के गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाती थी। परियोजना के बंद होने से उनका चिंतित होना जायज है। दरअसल खदान संचालन की अवधि 31.12.2020 को समाप्त हो गई है। बताया गया है कि एनएमडीसी हीरा खदान पन्ना टाइगर रिजर्व के गगऊ अभ्यारण्य अंतर्गत वन भूमि रकवा 74.018 हेक्टेयर में संचालित है।
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खनिज संपदा से भरपूर पन्ना जिले के विकास को नहीं मिली गति
खदान बंद से सैकड़ों कर्मचारियों के साथ ही ग्रामीण भी चिंतित हैं। जानकारी अनुसार खदान के आसपास स्थित गांवों के ग्रामीण जन जिन्हें परियोजना से बुनियादी सुविधाएं मिलती थी वे परेशान हैं। बताया गया है कि जंगल व खनिज संपदा से भरपूर पन्ना जिले में ऐसी कोई परियोजना नहीं स्थापित हो सकी जिससे यहां के रहवासियों को लाभ मिल सके। सिर्फ एनएमडीसी खदान ही यहां के लोगों के लिए बहुत आधार है। जबकि शासन को रायल्टी के रूप में करोड़ों का लाभ होता है। यहां के ग्रामीणों का कहना है कि पन्ना जिला खनिज संपदा से भरपूर है, शासन को हीरा खदानों से अरबों की रायल्टी प्राप्त होती है इसके बाद भी पन्ना के जिले के विकास को गति नहीं मिल पाई है। विगत दिवस मझगवां पहुंचे केंद्रीय इस्पात मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को कर्मचारियों ने ज्ञापन सौंपा है।
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13 लाख कैरेट हीरों का हो चुका है उत्पादन
जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर एशिया महाद्वीप की इकलौती मैकेनाइज्ड एनएमडीसी खदान में वर्ष 1968 से लेकर अब तक लगभग 13 लाख कैरेट हीरों का उत्पादन किया जा चुका है। इस खदान में अभी भी 8.5 लाख कैरेट हीरों हीरों का उत्पादन होना है। ऐसी स्थिति में यदि खदान संचालन की अनुमति नहीं मिलती तो अरबों रुपये का नुकसान हो सकता है। एक जानकारी अनुसार परियोजना के महाप्रबंधक एसके जैन का कहना है कि अनुमति अवधि होने के कारण उत्खनन बंद कर दिया गया है। कहा गया है कि अनुमति से लिये आवेदन लंबित है, जल्द ही निर्णय होने की उम्मीद है।