एमपी के पन्ना स्थित प्राथमिक शाला का नहीं खुलता ताला, शिक्षक नहीं होने से खेल-कूदकर घर लौट जाते हैं बच्चे
MP News: मध्यप्रदेश के पन्ना जिला अंतर्गत एक आदिवासी बाहुल्य गांव की प्राथमिक शाला में शिक्षक ही नहीं हैं। शासकीय प्राथमिक शाला धनौजा का ताला ही नहीं खुलता।
मध्यप्रदेश के पन्ना जिला अंतर्गत एक आदिवासी बाहुल्य गांव की प्राथमिक शाला में शिक्षक ही नहीं हैं। शासकीय प्राथमिक शाला धनौजा का ताला ही नहीं खुलता। ऐसे में बच्चे बस्ता टांगकर स्कूल पढ़ाई करने के लिए तो जाते हैं किंतु वह खेल-कूदकर वापस घर लौट आते हैं। शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के बाद भी गांव के बच्चे स्कूल खुलने की आस में टकटकी लगाए हुए हैं।
पिछले सत्र तक पदस्थ थे दो शिक्षक
पन्ना के जनशिक्षा केन्द्र बृजपुर संकुल बृजपुर के ग्राम पंचायत बृजपुर के ग्राम धनौजा में स्थित शासकीय प्राथमिक शाला का हाल बेहाल है। यहां वर्तमान समय पर शिक्षक ही नहीं हैं जिससे छात्र स्कूल तो पहुंचते हैं किंतु वह निराश होकर वापस घर लौट आते हैं। बताया गया है कि शासकीय प्राथमिक शाला धनौजा में पिछले सत्र तक दो शिक्षक पदस्थ थे। जिनमें से लक्ष्मी रेले को शासकीय प्राथमिक शाला धनौजा से 28 अप्रैल को भारमुक्त कर दिया गया है। संकुल रक्सेहा के सिमरा शासकीय प्राथमिक शाला किया गया है। जबकि दूसरे शिक्षक दीपक सिंह को सरकारी तौर पर डीएड करने के लिए मुक्त कर दिया है। दीपक सिंह को 16 जून को मुक्त किया गया। जिससे इस प्राथमिक शाला में शिक्षक ही नहीं हैं।
पढ़ाई की आस में पहुंच रहे बच्चे
शासकीय प्राथमिक शाला धनौजा में बच्चे पढ़ाई की आस लेकर पहुंचते तो हैं किंतु उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है। शिक्षा सत्र प्रारंभ होने के बाद भी गांव के बच्चे स्कूल खुलने का इंतजार कर रहा हैं। बच्चे बस्ता लेकर प्रतिदिन स्कूल पहुंचते हैं। परिसर में ही कुछ देर पढ़ते हैं इसके बाद खेल-कूदकर वापस घर चले जाते हैं। बच्चों को यह आशा है कि उनके गांव का स्कूल जरूर खुलेगा और पढ़ाई करवाने के लिए शिक्षक आएंगे। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी सूर्यभूषण मिश्रा का कहना है कि जिले में शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए अधिकारियों की बैठक ली गई है। धनौजा सहित जितने भी स्कूल शिक्षक विहीन हैं वहां तत्काल प्रभाव से शिक्षकों की व्यवस्था करवाई जाएगी।
इनका कहना है
इस संबंध में सीएसी राकेश मिश्रा का कहना है कि धनौजा स्कूल शिक्षक विहीन हो गया है यह बात बिल्कुल सही है। उनका कहना था कि शैक्षणिक व्यवस्था प्रभावित न हो और बच्चों को समुचित शिक्षा मिल सके इसके लिए शिक्षक समरकंद मलिक को पदस्थ किया गया है। जिनके द्वारा बच्चों को पढ़ाने का कार्य किया जाएगा।