सीधी में दो करोड़ से अधिक का फर्जी ट्रैक्टर ऋण घोटाला, विधाायक उठाएंगे विधानसभा में मामला

सीधी। प्रदेश के तमाम विभागों में फर्जीवाड़ा चल रहा है। घोटालों के नित नये मामले सामने आते रहते हैं। जिनमें कुछ पर ही कार्रवाई हो पाती है जबकि ज्यादातर मामले दब जाते हैं। इसी तरह से सीधी जिले में फर्जी ट्रैक्टर ऋण घोटाला सामने आया है जहां फर्जी तरीके आदिवासियों के नाम पर ऋण स्वीकृत किया गया है। इतना ही नहीं इस घोटाले में फर्जी कर्जदारों को नोटिस भी काट दी गई और वसूली भी हो गई, कुर्की भी कर ली और किसी को भनक नहीं लगी। अब इस मामले को विधायक केदारनाथ शुक्ला काफी सक्रिय हैं, उनके द्वारा मामले को विधानसभा में उठाने की बात कही गई है।

Update: 2021-06-29 10:59 GMT

सीधी। प्रदेश के तमाम विभागों में फर्जीवाड़ा चल रहा है। घोटालों के नित नये मामले सामने आते रहते हैं। जिनमें कुछ पर ही कार्रवाई हो पाती है जबकि ज्यादातर मामले दब जाते हैं। इसी तरह से सीधी जिले में फर्जी ट्रैक्टर ऋण घोटाला सामने आया है जहां फर्जी तरीके आदिवासियों के नाम पर ऋण स्वीकृत किया गया है। इतना ही नहीं इस घोटाले में फर्जी कर्जदारों को नोटिस भी काट दी गई और वसूली भी हो गई, कुर्की भी कर ली और किसी को भनक नहीं लगी। अब इस मामले को विधायक केदारनाथ शुक्ला काफी सक्रिय हैं, उनके द्वारा मामले को विधानसभा में उठाने की बात कही गई है।

बात दें कि केंद्रीय सहकारी बैंक शाखा गांधीग्राम में 34 आदिवासियों के नाम पर 2 करोड़ के फर्जी ट्रैक्टर वितरण का मामला सामने आने के बाद जांच समिति गठित की गई थी जिसके द्वारा मामले की जांच की जा रही है। विधायक की शिकायत पर कलेक्टर द्वारा चार सदस्यीय जांच टीम गठित की गई थी जिनके द्वारा पुरानी फाइलें खंगाली जा रही है। ऐसा अनुमान है कि ट्रैक्टर ऋण घोटाले की रकम दो से पांच करोड़ तक पहुंच सकती है।

मामला ऐसे आया प्रकाश में

इस फर्जीवाड़े का मामला तब प्रकाश में आया जब केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा कर्ज में लिए ट्रैक्टर उपभोक्ताओं के यहां वसूली का नोटिस भेजा गया। बिना किसी लेनदेन के नोटिस मिलने के बाद संबंधित आदिवासियों के होश ही उड़ गए थे। दरअसल में जिनके पास जमीन नहीं उनके नाम ट्रैक्टर ऋण स्वीकृत कर नोटिस भेजा गया था। इतना ही नहीं ऋण स्वीकृत के साथ ट्रैक्टर भी उपलब्ध नहीं कराया गया था। यह सब शाखा प्रबंधक और चार समितियों के प्रबंधकों ने ट्रैक्टर एजेंसी संचालकों के साथ मिलकर गुणा.भाग किया था।

बताया जाता है कि जैसे.जैसे लोगों को नोटिस मिलता गया वैसे.वैसे फर्जी ऋण वितरण की जानकारी सामने आने लगी। बिना किसी आवेदन, निवेदन के कर्ज स्वीकृत होने और बैंक द्वारा कर्जदार बनाए जाने के बाद सीधी विधायक केदारनाथ शुक्ला तक शिकायत पहुंचने लगी। आदिवासियों के नाम पर किए गए फर्जी ऋण घोटाले की जानकारी मिलने के बाद विधायक ने प्रमुख सचिव भोपाल से शिकायत कर मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने मांग की है।

कागजों में हो गई कुर्की

केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा जिन भूमिहीन आदिवासियों के नाम ट्रैक्टर ऋण स्वीकृत किए गए अब तक तो उन आदिवासियों को ऋण के संबंध में कोई जानकारी ही नहीं, दूसरे जब घोटालेबाजों ने ऋण में स्वीकृत ट्रैक्टर की नीलामी कर खुद औने.पौने दाम में खरीदी, बिक्री की तो भी किसी को हवा नहीं लग सकी है।

कागज में ही ऋण स्वीकृत हुए और कई महीनों तक ऋण की अदायगी न होने पर फर्जी नोटिस जारी की गई और कागज में ही ट्रैक्टर की नीलामी करा दी गई। बाद में नीलाम ट्रैक्टरों को आपस में ही खरीदी, बिक्री कर ली गई। बताया गया है कि घोटाले के जांच की सुगबुगाहट मिलते ही धीरे.धीरे फर्जीवाड़े की कहानी सामने आने लगी है। बताया जाता है कि जांच टीम यदि पूर्व में स्वीकृत ट्रैक्टर ऋण के मामलों की जांच करे तो अरबों का घोटाला सामने आ सकता है।

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