रीवा: ऑनलाइन सेंटरो में छात्रों से मनमानी वसूले जा रहें हैं पैसे, कोरोनकाल में छात्रों पर पड़ी दोहरी मार
रीवा (विपिन तिवारी) : बीते महीनें यू.जी.सी ने एक आदेश जारी किया जिसमें देश की सभी राज्य सरकारों एवं विश्वविद्यालयों को स्नातक एवं स्नातकोत्तर के अंतिम वर्ष की परीक्षाएं अनिवार्य रूप से करवाने की बात कही गई। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार परीक्षार्थियों से एस.आई.एस (स्टूडेंट इनफॉरमेशन सिस्टम) में पंजीयन के माध्यम से हर छात्र से ₹10 रुपये शुल्क जमा करा रही है। ऑनलाइन आवेदन करने छात्र ऑनलाइन सेंटरों पर जा रहें हैं। जहाँ विद्यार्थियों से ठगी कर मुनाफा कमा कमाया जा रहा है।
प्रत्येक विद्यार्थियों से 50 रुपये रजिस्ट्रेशन शुल्क लिया जा रहा है।ऐसे में पहले से फीस जमा कर चुके छात्रों पर दोहरी मार पड़ी है। कोरोनकाल में छात्र पहले से ही परेशान हैं ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के नाम से हो रही ऑनलाइन सेंटरो की वसूली से छात्रों परेशान हैं। ऐसे में ग़रीब छात्रों के पास 50 रुपये रजिस्ट्रेशन शुल्क देने के पैसे नही हैं। ऐसे छात्र परीक्षा से वंचित हो जायेंगे।
छात्र परिहार ने बताया कि अभी तक यह प्रावधान प्रदेश के सिर्फ अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए था लेकिन यह प्रावधान ए.पी.एस विश्वविद्यालय ने भी रिजल्ट जारी करने की आड़ में जनरल प्रमोशन पा चुके प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए भी अनिवार्य कर दिया है।
परिहार ने बताया कि परीक्षा देने जा रहे अंतिम वर्ष के छात्रों को A4 साइज कागज खुद खरीदकर परीक्षा देने का निर्देश है। लेकिन सवाल यह है कि कोरोना लॉकडाउन के चलते बेरोजगारी की इस भयावह स्थिति में छात्र इतना पैसा कहां से जुटा पाएंगे ?
छात्र ने कहा कि सभी छात्र परीक्षा फीस पहले ही जमा कर चुके हैं । ऐसे में सरकार का दायित्व बनता है कि परीक्षा के नाम पर जिन प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छात्रों से परीक्षा फीस जमा कराई जा चुकी है यदि उनकी परीक्षाएं आयोजित नहीं की जा रही हैं तो उनकी परीक्षा फीस लौटाई जानी चाहिए। लेकिन संवेदनहीन हो चुकी सरकार ऐसा करने की बजाय छात्रों से जबरन वसूली कर रही है जो कि बेहद निंदनीय है।