पशु अंग तस्कर गिरोह पकड़ाया, 1 करोड़ में बेच रहे थे बाघ की खाल, 10 लाख में दो कछुए...
20 वर्ष पुरानी बाघ की खाल बेंचने की फिरक में रहे तस्करों को पुलिस ने कार्रवाई करते हए पकड़ लिया है। वही तस्करों से दो कछुए भी बरात किये गय
पशु अंग तस्कर गिरोह पकड़ाया, 1 करोड़ में बेच रहे थे बाघ की खाल, 10 लाख में दो कछुए…
20 वर्ष पुरानी बाघ की खाल बेंचने की फिरक में रहे तस्करों को पुलिस ने कार्रवाई करते हए पकड़ लिया है। वही तस्करों से दो कछुए भी बरात किये गये है। जो करीब 10 लाख रूपये के माने जा रहे हैं।
इंदौर। पशु अंगों की तस्करी का ही नतीजा है कि आज जंगल में वन्य जीवों की संख्या कम हो गई है। कई नस्ल तो विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है। सरकार के लाख प्रयास के बाद भी वन्य जीवों पर से तस्करों का साया नही हट रहा है।
दवा बनाने वाली कम्पनियां तथा तांत्रिकों को द्वारा वन्य जीव के अंगों का उपयोग करेते हैं। इन्ही के इसारे पर पशु अंग तस्कर गिरोह वन्य जीवो की हत्या करता है और बाद में बाजार में बेंच दिया जाता है।
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हाल के दिनों में बाघ की खाल बेचने नरसिंहपुर से इंदौर आये तीन तस्करों को पुलिस ने पकड़ लिया है। आइजी हरिनारायणाचारी मिश्रा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार खजराना पुलिस की टीम ने आरोपी सुनील पिता राजेंद्र प्रसाद बसोड निवासी कुलकर्णी, प्रकाश पिता बाबूलाल सेन महू, और राम पिता जगन्नाथ चैहान तेजाजीनगर को गिरफ्तार कर 2 कछुए व एवं एक बडे बाघ की खाल जब्त की।
पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि पकड में आये आरेापी ने बताया कि वह खाल और कछुआ शैलेंद्र अग्रवाल नरसिंगपुर निवासी से लेकर आया था। वह इसे अच्छी कीमत में बेंचने के लिए ग्राहक तलाश रहे थे। इसी बीच पुलिस को जानकारी हो गई और वह पुलिस ग्राहक बनकर बात की और आरोपियो केा धर दबोचा।
पुलिस ने वन विभाग से बाघ के खाल की जांच करवाई तो पता चला कि वह खाल लगभग 20 वर्ष पुरानी है। वही बाघ की लम्बाई करीब 10 फिट रही होगी। इनका उपयोग तांत्रिक क्रिया तथा कछुओं के कई अंगों का उपयोग दवाई बनाने में किया जाता है।