सिगरेट पीने की आदत है और फेफड़ों को लेकर चिंता भी है? इन तरीकों से लंग्स को डिटॉक्स कर सकते हैं
How To Detox Lungs: सुट्टा फूकेंगे तो फेफड़े खराब होना तय है, लेकिन निकोटीन से भरे फेफड़ों को साफ़ किया जा सकता है;
How To Detox Lungs At Home: फेफड़े हमारे शरीर के लिए उतना ही जरूरी अंग है जितना कि दिल और लीवर। एक बार फेफड़े खराब हुए तो बचा कुचा जीवन खासते-हांफते ही बिताना होगा। कायदे से फेफड़ों का काम सिर्फ ऑक्सीजन को फ़िल्टर करना होता है लेकिन कुछ शक्तिमान टाइप के लोग होते हैं जो फेफड़ों को निकोटीन फ़िल्टर करने वाली मशीन बना देते हैं. कहने का मतलब है कि धुआं-धक्कड़ कर-कर के फेफड़े की भजिया फाड़ देते हैं.
सुट्टा पी-पी के लोग अपने फेफड़ों को कमजोर कर देते हैं. फिर या तो इंसान दमा का मरीज हो जाता है या फिर उसका हर मर्ज ही खत्म हो जाता है. सभी मर्ज खत्म न हों और फेफड़े भी ठीक से अपना काम करते रहे इसी लिए कुछ ऐसी चीज़ें आपको भी करनी होगीं जो आखिर में आपको ही फायदा पहुचाएंगी। कहने का मतलब है कि अगर आपने सिगरेट फूंक-फूंक कर अपने फेफड़े सड़ा दिए हैं तो उन्हें वापस स्वस्थ बनाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं.
फेफड़ों को साफ़ कैसे करें?
अखरोट: मेरिकन कॉलेज ऑफ़ न्यूट्रीशिन के एक प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि अखरोट में प्रचूर मात्रा में Omega-3 फैटी एसिड होता है. अगर आप रोजाना एक मुट्ठी अखरोट खाते हैं तो जल्द ही फेफड़ों से जुडी तकलीफें दूर हो सकती हैं. यह सांस लेने में दिक्क्त और अस्थमा में भी फायदा पहुंचाता है.
फैटी फिश: जिस मछली में फैट ज़्यादा होता है उन्हें खाने से फेफड़ों को फायदा होता है. इनमे भी Omega-3 की भरपूर मात्रा होती है
अदरक: अदरक में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो फेफड़ों में जमे कचरे को बाहर निकालने में मदद करते हैं. अदरक के सेवन से फेफड़ों के वायु मार्ग खुल जाते हैं.
ब्रोकली; ब्रोकली को हरी गोभी कहा जाता है. यह ना भी शरीर में स्टैमिना को बढ़ाती है बल्कि फेफड़ों को स्वस्थ बनाती है
सेब: 'वन एप्पल अ डे कीप्स डॉक्टर अवे' यह कहावत आपने सुनी होगी? लेकिन मानता कोई नहीं है. अगर आप रोज एक सेब खाते हैं तो डॉक्टर के पास जाने की नौबत नहीं आती है. सेब खाने से विटामिन E, C और बीटा कैरोटीन मिलता है जो फेफड़ों के लिए अच्छा होता है.
अलसी के बीज: एक रिसर्च में पाया गया है कि असली के बीज खाने से फेफड़ों को डेमेज होने से बचाया जा सकता है. और डेमेज हुए फेफड़ों को वापस रिकवर किया जा सकता है.