Happy Makar Sankranti 2021: जानिए इस दिन क्यों खाई जाती है खिचड़ी?
मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाता है. इस दिन सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इस दिन
आप सभी RewaRiyasat.Com (Online News Portal) के पाठकों को #MakarSankranti की हार्दिक शुभकामनाएं. मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाता है. इस दिन सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इस दिन को Makar Sankranti के रूप में मनाया जाता है.
Makar Sankranti के दिन देश भर के कई हिस्सों में पतंग उड़ाई जाती है, तिल के लड्डू बनाए जाते हैं, गन्ने और खिचड़ी (Khichdi) खाने की भी परंपरा है. हांलाकि इस बार मकर संक्रांति कोरोनाकाल में मनाया जा रहा है, बावजूद इसके लोगों में इस त्यौहार के प्रति उत्साह की कमी नहीं देखी जा रही है.
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शास्त्रों के अनुसार Makar Sankranti को स्नान, दान और ध्यान के त्योहार के रूप में दर्शाया गया है. इस दिन भगवान सूर्य को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और गुड़ तिल से बनी चीज़ें जैसे तिल के लड्डू, गजक, रेवड़ी को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.
जानिए क्या है Makar Sankranti में खिचड़ी की मान्यता
मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की परंपरा के पीछे भगवान शिव के अवतार कहे जाने वाले बाबा गोरखनाथ की कहानी है. खिलजी के आक्रमण के समय नाथ योगियों को खिलजी से संघर्ष के कारण भोजन बनाने का समय नहीं मिल पाता था. इससे योगी अक्सर भूखे रह जाते थे और कमज़ोर हो रहे थे. इस समस्या का हल निकालने के लिए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्ज़ी को एक पकाने की सलाह दी.
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खिचड़ी काफी पौष्टिक होने के साथ जल्दी तैयार भी हो जाती है. इससे शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है. नाथ योगियों को यह व्यंजन काफी पसंद आया. बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा.
गोरखनाथ मंदिर में होता है मकर संक्रांति का आयोजन
गोरखपुर स्थित बाबा गोरखनाथ के मंदिर के पास मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी मेला आरंभ होता है. कई दिनों तक चलने वाले इस मेले में बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और इसे भी प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.