ऐसे घरों में तेजी से फैलता है कोरोना वायरस का संक्रमण, शोध में हुआ खुलासा
कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर दुनिया भर में अलग अलग दावे किए जाते हैं. जैसे कि, वायरस किन सतहों पर कितनी देर तक जिंदा रहता है, हवा के;
कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर दुनिया भर में अलग अलग दावे किए जाते हैं. जैसे कि, वायरस किन सतहों पर कितनी देर तक जिंदा रहता है, हवा के जरिए भी इसका संक्रमण फैल सकता है आदि. कुछ समय पहले यह भी कहा गया था कि जिन घरों में वेंटिलेशन और खिड़कियों की व्यवस्था नहीं होती है, वहां संक्रमण का खतरा अधिक होता है. अब इसी से संबंधित एक ताजा रिपोर्ट सामने आई है.
अमेरिका की मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने घरों, स्कूलों और शॉपिंग मॉल्स के अंदर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के ड्रॉपलेट्स के प्रसार और उनके रूकने या खत्म होने से संबंधित मामलों पर शोध किया, जिसमें कई बातें निकलकर सामने आईं. आइए जानते हैं कोरोना वायरस का संक्रमण किन जगहों पर अधिक फैलने का खतरा है.
क्या पादने से फैल सकता है कोरोनावायरस? जानें पादते वक्त किस सावधानी को बरतना है जरूरी
शोध में यह सामने आया कि छोटे और बंद जगहों पर कोरोना वायरस हवा में अधिक समय तक सक्रिय रहता है. यानी जिन घरों पर वेंटिलेशन या खिड़कियों की व्यवस्था नहीं है, वहां कोरोना का खतरा बाकी जगहों की अपेक्षा ज्यादा है. साथ ही शोध में यह भी पाया गया कि ऐसी जगहों पर मरीजों के ड्रॉपलेट्स अलग-अलग सतहों पर चिपक भी जाते हैं.
छोटे घरों में क्यों है खतरा ज्यादा?
दरअसल, आज के समय में (खासकर शहरों में) जिस तरह से ऊंची-ऊंची और एक दूसरे से सटी हुई इमारतों का निर्माण किया जा रहा है, ऐसे में कई फ्लैट ऐसे होते हैं, जहां वेंटिलेशन की व्यवस्था ही नहीं होती और न ही घर में खिड़कियां होती हैं. ऐसे में न तो वहां सूर्य का प्रकाश ही पहुंच पाता है और न ही हवा और अगर हवा पहुंच भी गई तो फिर उसके निकलने का कोई रास्ता ही नहीं होता.
ऐसी स्थिति में हवा घर के अंदर ही घूमती रहती है और कोरोना मरीज के ड्रॉपलेट्स भी कमरे के अंदर ही अलग-अलग सतहों पर चिपकते रहते हैं. इससे संक्रमित मरीज से स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में वायरस के प्रवेश करने का खतरा ज्यादा है.
सैनिटाइजर लगे हाथों से खाना बनाना सुराक्षित या खतरनाक? जानें इस्तेमाल करने का सही तरीका
बड़े और खुले घरों में खतरा कम क्यों?
बड़े और खुले घरों में यानी जिन घरों में वेंटिलेशन और खिड़कियों की व्यवस्था है, वहां वायरस घर के अंदर ज्यादा देर तक टिक नहीं पाता और हवा के बहाव के कारण वो जल्द ही खत्म हो जाता है. इसके अलावा कोरोना मरीज के ड्रॉपलेट्स जिस जगह पर मौजूद होते हैं, उन्हें हवा द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है. इस कारण संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में वायरस के प्रवेश का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.
एसी भी फैला सकता है संक्रमण
भयंकर गर्मी से बचने के लिए अधिकतर लोग एसी का इस्तेमाल करते हैं, खासकर शहरों में, लेकिन यह भी कोरोना संक्रमण फैलाने का एक कारण बन सकता है. इसकी वजह ये है कि एसी जब चलाया जाता है तो दरवाजों और खिड़कियों को बंद कर दिया जाता है. यह आपको गर्मी से तो बचा सकता है, लेकिन अगर मान लीजिए कि कोई संक्रमित व्यक्ति भी वहां मौजूद है तो उसके शरीर से निकला हुआ वायरस दरवाजों और खिड़कियों के बंद होने की वजह से उसी घर या ऑफिस के फ्लोर पर मौजूद रहता है.
ऐसी स्थिति में अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति उस वायरस के संपर्क में आ जाता है तो वह भी संक्रमित हो सकता है. इसलिए बेहतर है कि इस कोरोना काल में एसी का कम से कम इस्तेमाल करें या न करें तो और भी बेहतर है.
ख़बरों की अपडेट्स पाने के लिए हमसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी जुड़ें:
Facebook, Twitter, WhatsApp, Telegram, Google News, Instagram