मीजल्स-रुबेला को दिसंबर 2023 तक पूरी तरह खत्म करने की तैयारी, मिल रहे केसों ने बढ़ाई चिंता

प्रदेश में मीजल्स-रुबेला के उन्मूलन के लिए दिसम्बर 2023 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। किन्तु मिल रहे बीमारी के नए केसों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है।

Update: 2022-12-26 08:15 GMT

प्रदेश में मीजल्स-रुबेला के उन्मूलन के लिए दिसम्बर 2023 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। किन्तु मिल रहे बीमारी के नए केसों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। राजधानी भोपाल की बात करें तो एक माह में इस बीमारी के दो केस सामने आए हैं। जिसने स्वास्थ्य विभाग के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं।

मैदानी अमला सक्रिय

राजधानी में ही लगातार मीजल्स-रुबेला के मरीज मिलने के बाद मैदानी अमले को सक्रिय कर दिया गया है। बताया गया है कि मंगलवारा निवासी 9 वर्ष की एक बच्ची को बुखार आने के साथ ही शरीर पर दाने निकल आए थे। जब इसकी जांच कराई तो मीजल्स-रुबेला की पुष्टि हुई। अब स्वास्थ्य विभाग द्वारा बच्ची के घर आसपास लगभग 50 घरों का सर्वे करने में जुट गई है।

बीते चार सालों में नहीं दिखा प्रकोप

जनवरी 2019 से मीजल्स-रुबेला को जड़ से मिटाने का अभियान प्रारंभ किया गया है। इस दौरान बीते चार वर्षों में बीमारी का प्रकोप देखने को नहीं मिला है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो मरीज मिले भी हैं तो अधिकतम उनकी संख्या 5 तक ही रही। वर्ष 2022 की बात की जाए अब तक इस बीमारी केवल 20 मामले ही सामने आ चुके हैं। किंतु मिल रहे मरीजों से इसके उन्मूलन को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।

मीजल्स-रुबेला के दुष्प्रभाव

स्वास्थ्य विभाग की मानें तो यह एक तरह का वायरस है जो एक से दूसरे को संक्रमित करता है। एक के बीमार होने पर ऐसे बच्चे और बड़े भी संक्रमण का शिकार हो जाते जिनके द्वारा इसका टीका नहीं लगवाया गया है। वहीं विटामिन ए की कमी होने से नजर कमजोर हो जाती है। गंभीर स्थिति होने पर आंखों में छाला पड़ने और आंखों की रोशनी जाने तक का खतरा हो सकता है। बीमारी के दौरान बच्चा ऊपर से तो स्वस्थ्य दिखता है लेकिन खाना नहीं पचने, दस्त और फेफड़ों में संक्रमण के कारण धीरे-धीरे वह कुपोषित हो जाता है। बीमारी में बुखार इतना तेज रहता है कि मरीज के दिमाग पर चढ़ने की आशंका बनी रहती है। जिससे सिरदर्द, उल्टी, झटके और चक्कर आने की शिकायत निर्मित हो सकती है। इस बीमारी के दाने शरीर के ऊपर ही नहीं सांस की नली के अंदर के साथ ही आंत और फेफड़े को भी प्रभावित कर सकते हैं।

इनका कहना है

इस संबंध में जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. कमलेश अहिरवार की मानें तो एक बच्ची मीजल्स-रुबेला पॉजिटिव पाई गई है। इसके पूर्व भी एक बच्ची और पॉजिटिव मिली थी। प्रोटोकॉल के तहत उक्त क्षेत्र में सर्वे कार्य प्रारंभ कर दिया गया है ताकि संक्रमण पर नियंत्रण किया जा सके। फिलहाल आउटब्रेक जैसी स्थिति नहीं है।

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