प्रदेश के राजधानी की हवा में घुला जहर, 45 करोड़ खर्च करने के बाद भी कम नहीं हुआ प्रदूषण
भोपाल की हवा भी अब जहरीली होती जा रही है। करोड़ों खर्च करने के बाद भी हवा से प्रदूषण का ग्राफ कम नहीं हो सका है।
भोपाल की हवा भी अब जहरीली होती जा रही है। करोड़ों खर्च करने के बाद भी हवा से प्रदूषण का ग्राफ कम नहीं हो सका है। एयर पॉल्यूशन कम करने के लिए एक साल पूर्व केन्द्र सरकार द्वारा नगर निगम को 45 करोड़ दिए गए थे। किंतु साल के कुछ दिनों को छोड़कर हवा का एक्यूआई संतोषजनक स्थिति में नहीं रहा।
ऐसा रहा एक्यूआई
सूत्रों की मानें तो राजधानी भोपाल में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) वर्ष भर में कुछ ही दिनों में संतोषजनक रहा। 77 दिन ही एक्यूआई का स्तर ठीक रहा। साल भर की बात की जाए तो 128 दिनों में एक्यूआई पुअर से वेरी पुअर कैटेगरी में रहा। जबकि 160 दिन यह मध्यम यानी 100 से 200 के बीच रहा है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए 45 करोड़ खर्च करने के बाद भी प्रदूषण के स्तर में सुधार क्यों नहीं हुआ।
राशि का नहीं किया सही इस्तेमाल
45 करोड़ रुपए की राशि से हवा के प्रदूषण को कम किया जाना था। जिसमें शहर की सड़कों पर जमा धूल को उड़ने के लिए पेविंग ब्लॉक लगाया जाना था। इसके साथ ही पानी छिड़काव की मशीनें लाई जानी थीं किन्तु इस दिशा में नगर निगम द्वारा कोई कार्य नहीं किया गया। सूत्रों की मानें तो इस राशि का सही इस्तेमाल नहीं किया गया। मिली राशि में 25 करोड़ में बीआरटी कॉरिडोर की सड़क पर डामरीकरण किया जा रहा है तो वहीं 6 करोड़ में पौधरोपण और 6 करोड़ में गार्डन विकसित किए जा रहे हैं। जबकि 8 करोड़ रुपए में आदमपुर छावनी में मरे हुए पशुओं को दफपाने के लिए प्लांट बनाया गया है।
इनका कहना है
इस संबंध में नगर निगम आयुक्त वीएस चौधरी की मानें तो वायु प्रदूषण कम करने के लिए पहली किस्त में 45 करोड़ रुपए दिए गए थे। इस राशि से कचरा निष्पादन और सीएनजी उत्पादन के बड़े प्रोजेक्ट लगाए जा रहे हैं। बीआरटी कॉरिडोर से लगी सड़क पर ज्यादा वाहन चलते हैं। जिसके कारण वायु प्रदूषण अधिक होता है। इसलिए हमारा फोकस इस सड़क के डामरीकरण पर है।