एमपी में अब निकाय वसूलेंगे मनोरंजन कर, अधिनियम में बदलाव
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 70 वर्ष पुराने मध्यप्रदेश सिनेमा (विनियमन) अधिनियम 1952 में संशोधन कर दिया है। मध्यप्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में अब मनोरंजन कर की वसूली स्थानीय निकाय करेंगे।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 70 वर्ष पुराने मध्यप्रदेश सिनेमा (विनियमन) अधिनियम 1952 में संशोधन कर दिया है। मध्यप्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में अब मनोरंजन कर की वसूली स्थानीय निकाय करेंगे। इस प्रावधान के लागू हो जाने से नगरीय निकायों की सीमा अंतर्गत किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले मनोरंजन कर एवं मनोविनोद संबंधी कार्यक्रमों पर कर या शुल्क लगाने का अधिकार नगरीय निकायों को दिया गया है।
नगरीय निकायों की बढ़ेगी आय
नगरीय निकायों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से यह व्यवस्था लागू की गई है। दरअसल मध्यप्रदेश माल एवं सेवा कर के जुलाई 2017 से लागू होने के बाद मध्यप्रदेश विलासिता, मनोरंजन, आमोद एवं विज्ञापन कर अधिनियम 2011 स्वतः निरस्त हो गया है। निकायों की आय में कमी न हो इसलिए अब विलासिता, मनोरंजन कर लेने का अधिकार वाणिज्यिक कर विभाग से लेकर नगरीय विकास एवं आवास विभाग को जिम्मा सौंपा गया है। जो नगरीय निकाय सीमा अंतर्गत मनोरंजन कर लगा सकेगा। नगरीय निकायों को अधिकार प्राप्त होने पर अधिनियम में संशोधन कर नगर निगम क्षेत्र की सीमा के अंदर निगम आयुक्त और नगर पालिका एवं नगर परिषद की सीमा के भीतर वाले नगर पालिका क्षेत्र के लिए एवं अन्य क्षेत्रों के लिए जिला न्यायाधीश द्वारा प्राधिकृत कोई कार्यपालिक न्यायाधीश जो उपखंड न्यायाधीश की श्रेणी से नीचे न हो, को लाइसेंस प्राधिकारी के रूप में प्राधिकृत होगा।
उल्लंघन पर अब यह लगेगा जुर्माना
लाइसेंस प्राप्त सिनेमा घरों द्वारा यदि नियमों का उल्लंघन पाया जाता है तो वर्तमान में एक हजार रुपए एवं लगातार उल्लंघन पाए जाने पर प्रत्येक दिन सौ रुपए के मान से अर्थदण्ड लगाया जाता है। किन्तु अब सरकार एक हजार की जगह 50 हजार और 100 रुपए की जगह 5 हजार रुपए अर्थदण्ड वसूल करेगी। इस संबंध में नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय के आयुक्त भरत यादव के मुताबिक सिनेमा घरों को लाइसेंस जारी करने से लेकर अर्थदण्ड लगाने का अधिकार नगरीय विकास एवं आवास के माध्यम से किया जाएगा। इसके पूर्व यह अधिकार वाणिज्यिक कर विभाग के पास था। अब नगर निगम सीमा क्षेत्र में निगम आयुक्त और नगर पालिका, नगर परिषद में कलेक्टर द्वारा अधिकृत अधिकारी लाइसेंस जारी करेंगे और कार्रवाई का भी अधिकार रहेगा।