एमपी के नेशनल पार्कों में नहीं चलेंगी जिप्सी, इलेक्ट्रिक एसयूवी की तलाश
मध्यप्रदेश के नेशनल पार्कों में पेट्रोल से चलने वाले जिप्सी वाहन नहीं चलेंगे। नए नियमों के तहत इन वाहनों को प्रतिबंधित करने के लिए वन विभाग ने हाईब्रिड और ईवी एसयूवी के ट्रायल शुरू कर दिए हैं।
मध्यप्रदेश के नेशनल पार्कों में पेट्रोल से चलने वाले जिप्सी वाहन नहीं चलेंगे। नए नियमों के तहत इन वाहनों को प्रतिबंधित करने के लिए वन विभाग ने हाईब्रिड और ईवी एसयूवी के ट्रायल शुरू कर दिए हैं। इसके लिए विभाग ने वाहन निर्माता कंपनियों को अपने हाईब्रिड और इलेक्ट्रिक एसयूवी वाहन उपलब्ध कराने के लिए भी कहा है।
नए नियमों में हो जाएंगी प्रतिबंधित
नए ट्रांसपोर्ट नियमों के मुताबिक नेशनल पार्क में दस साल पुराने वाहन प्रतिबंधित हो जाएंगे। एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ शुभरंजन सेन के मुताबिक नेशनल पार्कों में ज्यादातर जिप्सी गाड़ियां दस साल पुरानी हो चुकी हैं। वहीं वर्ष 2019 में मारुति सुजुकी कंपनी ने भी इसका उत्पादन बंद कर दिया है। ऐसे में प्रदेश के नेशनल पार्कों में नियमों के तहत प्रतिबंधित हो जाएंगी। जिसके चलते पार्कों में नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन के लिए सात सीटर एसयूीव की तलाश की जा रही है। यहां उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में दस नेशनल पार्क हैं जिनमें से 6 टाइगर रिजर्व हैं। जहां वाइल्ड लाइफ सफारी में पर्यटकों के भ्रमण के लिए अभी स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल जिप्सी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
पेट्रोल वाहनों से वन्य प्राणी होते हैं प्रभावित
कुछ वर्षों पूर्व कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेलुलर एण्ड मॉलिक्यूलहर बॉयोलाजी (सीसीएमबी) द्वारा अध्ययन भी किया गया था। अध्ययन के बाद तैयार की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आए थे कि पेट्रोल वाहनों से भी ध्वनि प्रदूषण होता है। जिससे वन्य प्राणियों के स्वास्थ्य और प्रजनन पर असर पड़ता है। सीसीएमबी की रिपोर्ट को भी ध्यान में रखते हुए पेट्रोल वाहनों को हटाने का विचार किया जा रहा है। वन मंत्री विजय शाह के मुताबिक कुछ कंपनियों ने अपने एसयूवी वाहनों के पहाड़ी जंगल क्षेत्रों में ट्रायल की सहमति जताई है। महाराष्ट्र के एक नेशनल पार्क में वन मंत्री दो कंपनियों की एसयूवी का स्वयं भी ट्रायल कर चुके हैं। जिनमें से एक भारतीय वाहन निर्माता कंपनी की नई हाइब्रिड एसयूवी है जबकि दूसरी मल्टीनेशनल कंपनी है।