देशी भैसों की सुधरेगी नस्लः खास तकनीक से जन्म लेंगी केवल मादा भैंस
भैंस पालकों व किसानों के लिए अच्छी खबर है। एक खास तकनीक विकसित की गई है जिससे मवेशियों की नर संतानों के पैदा होने पर रोक लग सकेगी।
भैंस पालकों व किसानों के लिए अच्छी खबर है। एक खास तकनीक विकसित की गई है जिससे मवेशियों की नर संतानों के पैदा होने पर रोक लग सकेगी। इस तकनीक से केवल मादा भैंस के बछड़े ही जन्म लेंगे। मप्र राज्य पशुधन एवं कुक्कुट बोर्ड द्वारा अब भोपाल मदर बुल फॉर्म में गायों के बाद अब देशी भैंसों की नस्ल सुधार की तैयारी की जा रही है।
इस तकनीक का होगा इस्तेमाल
मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम अब ब्राजील की तर्ज पर भैंसों में सेक्स सार्टेड सीमन तकनीक का प्रयोग करने जा रहा है। जिसके माध्यम से भैंस फीमेल कॉफ को ही जन्म दे सकेगी। निगम के एमडी डॉ. एसबीएस भदौरिया की मानें तो मदर बुल फॉर्म स्थित लैब मुर्रा नस्ल के बफेलो बुल से सेक्स सार्टेड सीमन से 50 हजार एक्स्ट्रा तैयार किए जाने जा रहे हैं। पहले चरण में केवल मुर्रा बफेलो बुल के सीमन का सेक्स सार्टेड किया जा रहा है। बताया गया है कि अभी केवल तीन देसी नस्ल की भैसें इस प्रोजेक्ट में शामिल हैं। नस्लों में मुर्रा, भदावरी और जबाराबादी प्रजाति हैं। निगम सूत्रों की मानें तो मुर्रा भैंस विशुद्ध हरियाणवी प्रजाति की है। जिसको तैयार करने में 35 साल से अधिक का समय लगा है। अब न केवल इसकी नस्ल को और अवर्णित भैंस प्रजाति एवं ग्रेडेड मुर्रा की भैंस नस्ल को भी सुधारने की तैयारी है।
18 से 20 लीटर तक देंगी दूध
मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के एमडी डॉ. एसबीएस भदौरिया की मानें तो गायों के सफल प्रोजेक्ट के बाद अब भैंसों की नस्ल को सुधारने और सेक्स सार्टेड सीमन का प्रयोग किया जाएगा। इस तकनीक से पशुपालक कृत्रिम गर्भाधान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पहले चरण में मुर्रा भैंस की नस्ल को सुधारा जा रहा है। अभी यह एक दिन में 8 से 10 लीटर ही दूध देती है। नस्ल सुधार होने के बाद 18 से 20 लीटर दूध देने लगेगी। वहीं मुर्रा बफेलो बुल के सीमन से अवर्णित भैंस प्रजाति एवं ग्रेडेड मुर्रा (शंकर प्रजाति) की भैंस नस्ल सुधार के बाद 12 से 15 लीटर दूध देने लगेगी। जबकि अभी तक यह 5 से 8 लीटर ही दूध देती है। ब्राजील ने भारत से देसी नस्ल के पशुओं को ले जाकर नस्ल सुधारते हुए दूध का उत्पादन बढ़ाया है। अब मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम भोपाल भी ब्राजील की तर्ज पर नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत कार्य कर रहा है।