एमपी के भोपाल में बड़े तालाब के आसपास बनेगा पक्षी विहार, प्रस्ताव तैयार

भोपाल में बड़े तालाब के आसपास का क्षेत्र पक्षी विहार के लिए विकसित किया जाएगा, जिसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। स्थायी और प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों व बड़ी संख्या को देखते हुए उनके बसेरे को संरक्षित किया जाएगा।

Update: 2022-12-19 09:03 GMT

भोपाल में बड़े तालाब के आसपास का क्षेत्र पक्षी विहार के लिए विकसित किया जाएगा, जिसके लिए प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया है। स्थायी और प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों व बड़ी संख्या को देखते हुए उनके बसेरे को संरक्षित किया जाएगा। भोपाल में पक्षी विहार राजस्थान की केवलादेव सेंचुरी की तर्ज पर विकसित होगा, जिसमें पक्षी अपना घोसला बना सकेंगे और उनकी पीढ़ी को आगे बढ़ाने में यह मददगार साबित होगी।

भूमि का हो चुका है अधिग्रहण

पक्षी विहार के लिए भूमि का अधिग्रहण भी किया जा चुका है। रामसर साइट के 24 स्थानों पर 3021.452 हेक्टेयर जमीन में इसका निर्माण कराया जाएगा। जिसके लिए भोपाल वन मंडल, वन विहार और पर्यावरण वन मंडल संयुक्त रूप से तैयारी में जुटा हुआ है। जमीनों का अधिग्रहण भोपाल के प्रेमपुरा, कोटरा, सेवनिया गौड़, बिशनखेड़ी, कोहेफिजा, खानूगांव, हलालपुर, लाऊखेड़ी, बोरवन, बेहटा, बैरागढ़ कला, भैंसखेड़ी, नाथू बरखेड़ा, बम्होरी, मुगलिया छाप, लेखपुरा, ईंटखेड़ी, खजूरी सड़क, बकानई, कोलूखेडी में किया गया है।

इन प्रजातियों के पाए जाते हैं पक्षी

पक्षी विहार बनने से न केवल यहां आने वाले विभिन्न प्रजातियों के पक्षी संरक्षित हो सकेंगे बल्कि यहां आने वाले पर्यटक इनका दीदार भी कर सकेंगे। जिससे भोपाल का रामसर साइट बड़ा तालाब दुनिया भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन जाएगा। यहां पर ब्लैक हैडेड आईबिस, ओरिएंटल, डार्टर, पेटेड, स्टोर्क, कॉमन पोचार्ड, रिवर टर्न, सारस क्रेन जैसी संकटग्रस्त प्रजातियां पाई जाती हैं। जबकि हिमालय, यूरोप, मध्य एशिया, साइबेरिया आदि से प्रवासी भी यहां आकर डेरा डालते हैं।

इनका कहना है

बड़े तालाब के आसपास के क्षेत्र में पक्षी विहार बनाए जाने के संबंध में भोपाल वन मंडल डीएफओ आलोक पाठक का कहना है कि रामसर साइट की भूमि में इसे बनाने का प्रस्ताव है। जिसके लिए 3021.452 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण भी कर लिया गया है। अब नोटिफिकेशन की प्रक्रिया चल रही है। जिससे पक्षियों के लिए संबंधित इलाके को संरक्षित किया जा सके। रामसर साइट की भूमि पर राजस्थान के केवलादेव सेंचुरी की तर्ज पर इसको विकसित किए जाने की योजना है।

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