Holi Bhai Dooj 2023: जानिए होली भाई दूज की कहानी एवं तिलक पूजा विधि के बारे में
Holi Bhai Dooj 2023 Ki Kahani, Holi Bhai Dooj Vrat Katha, Holi Bhai Dooj Tilak Pooja Vidhi: चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को होली भाई दूज (Holi Bhai Dooj) का त्यौहार मनाया जाता है।
Holi Bhai Dooj 2023 Ki Kahani, Holi Bhai Dooj Vrat Katha, Holi Bhai Dooj Tilak Pooja Vidhi Shubh Muhurat: चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को होली भाई दूज (Holi Bhai Dooj) का त्यौहार मनाया जाता है। होली के बाद मनाये जाने वाले भाई दूज को होली भाई दूज कहा जाता है। उदया तिथि के हिसाब से भाई दूज का त्योहार 09 मार्च गुरुवार को मनाया जाएगा. 09 मार्च को राहुकाल दोपहर 02 बजे से 03:28 बजे तक है.आइये जानते हैं होली भाई दूज की व्रत कथा (Holi Bhai Dooj Vrat Katha) और पूजा विधि (Holi Bhai Dooj Pooja Vidhi) के बारे में जानते हैं..
होली भाई दूज की व्रत कथा (Holi Bhai Dooj Vrat Katha, Kahani)
होली भाई दूज (Holi Bhai Dooj 2023) के दिन बहनें अपने भाई के माथे पर टीका लगाती हैं एवं उनके लंबे उम्र की कामना करती हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के खुद यमलोक के देवता यमराज ने अपनी बहन यमुना मैया के घर जाकर टीका लगवाया था और भोजन किया था। बताया जाता है कि भोजन करने एवं तिलक लगवाने के बाद देवता यमराज ने आशीर्वाद दिया कि इस दिन जो भाई अपनी विवाहित बहन के घर जा कर टीका करवाएगा और भोजन करेगा उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।
बताया जाता है कि तभी से भाईयों का बहन के घर जा कर टीका लगवाने की परंपरा शुरू हुई। होली भाई दूज के दिन बहनें भाई के लिए व्रत भी रखती हैं। भारत में कई जगहों पर फलाहार तो कई जगहों पर निर्जला उपवास की भी परंपरा है।
होली भाई दूज (Holi Bhai Dooj) में पूजा की थाल सजाकर बहनें भाई के सामने बैठती हैं एवं अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और फिर भाई की आरती उतारती हैं और मिष्ठान खिलाती है। इसके बाद ही वे खुद भोजन ग्रहण करती हैं।
Holi Bhai Dooj 2023: तिलक पूजा विधि (Tilak Pooja Vidhi)
- होली भाई दूज (Holi Bhai Dooj) के दिन सर्वप्रथम श्रीविष्णु और गणेश की पूजा करनी चाहिए।
- भाई को तिलक लगाने के लिए थाली सजाएं , इसमें कुमकुम, सिंदूर, अक्षत, चंदन, फूल, मिठाई, दीप रखा जाता है।
- चौक पुर कर उसके ऊपर लकड़ी की चौकी रखना चाहिए, जिसपर भाई को बिठाकर तिलक कर मिठाई खिला कर भाई की आरती उतरन पड़ता है।
- इसके बाद भाई अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार देते हैं।