विजयादशमी 2024: दशहरा आज, श्रीराम की विजय और शस्त्र पूजन का पर्व, 3 मुहूर्त; जानें पूजा विधि

विजयादशमी का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन श्रीराम की पूजा के साथ-साथ शस्त्र पूजन का भी विशेष महत्व है। आइए जानते हैं विजयादशमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इस पर्व के महत्व के बारे में।

Update: 2024-10-12 04:30 GMT

विजयादशमी 2024: विजयादशमी, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी, इसलिए इसे विजयादशमी कहा जाता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। द्वापर युग में अर्जुन ने इसी दिन शमी के वृक्ष की पूजा कर युद्ध में विजय प्राप्त की थी, और इसी कारण इस दिन शमी और शस्त्र पूजा की परंपरा है। आज 12 अक्टूबर दिन शनिवार को देश भर में विजयादशमी (दशहरा) का त्यौहार मनाया जा रहा है।

विजयादशमी का दिन अत्यंत शुभ होता है और इसे अबूझ मुहूर्त माना जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन बिना किसी ज्योतिषीय समय को देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। व्यापार की शुरुआत, पैसों का लेन-देन, प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त, और वाहनों की खरीदारी के लिए यह दिन अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

श्रीराम और शस्त्र पूजा करने के 3 मुहूर्त

  1. सुबह: 11:40 से दोपहर 12:20 तक
  2. दोपहर: 2:15 से 3 बजे तक
  3. दोपहर: 3:30 से शाम 4:30 तक

शस्त्र पूजा विधि

  1. शस्त्रों पर जल छिड़कें।
  2. चंदन और सिंदूर लगाएं।
  3. कलावा बांधकर अक्षत चढ़ाएं।
  4. फूल चढ़ाकर आरती करें।

दशहरे पर शमी और अपराजिता पौधे को पूजने की परंपरा

  1. विजयदशमी पर शमी के पेड़ और विष्णुकांता नाम के पौधे की पूजा करने की परंपरा है।
  2. अथर्ववेद में विष्णुकांता यानी अपराजिता के पौधे की पूजा करने का विधान बताया गया है। शत्रुओं पर जीत के लिए दशहरे पर राजा इस पौधे की पूजा करते थे।
  3. विजयादशमी के दिन राम, रावण से लड़ने के लिए जा रहे थे तो शमी के पेड़ ने भगवान राम को जीत का इशारा दिया था, इसलिए इस दिन शमी के पेड़ की पूजा करते हैं।
  4. अज्ञातवास में अर्जुन ने अपने धनुष-बाण शमी के पेड़ पर रख दिए थे, लेकिन जब शत्रुओं ने हमला किया तब अर्जुन ने उस पेड़ को प्रणाम कर अपने शस्त्र चलाए और जीत हासिल की।
  5. श्रीराम पूजा और शस्त्र पूजा के विशेष मुहूर्त

आज विजयादशमी पर श्रीराम और शस्त्र पूजा के लिए तीन प्रमुख मुहूर्त हैं। इस दिन विशेष रूप से वनस्पति पूजा, शमी पूजा और शस्त्र पूजा की जाती है। भगवान राम ने रावण के वध से पहले शस्त्र पूजा की थी, और इसी परंपरा के चलते इस दिन शस्त्र पूजन का विशेष महत्व है।

रावण दहन की परंपरा

विजयादशमी पर रावण दहन का आयोजन भी प्रमुख रूप से होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीराम ने विजय यात्रा की शुरुआत इसी दिन की थी, और एक साल बाद रावण का वध कर धर्म की रक्षा की थी। रावण दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसे पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।

शस्त्र पूजा का महत्व

विजयादशमी पर शस्त्र पूजा की परंपरा राजा विक्रमादित्य द्वारा शुरू की गई मानी जाती है। इस दिन देवी दुर्गा और भगवान राम के शस्त्रों की पूजा की जाती है, जो धर्म की रक्षा के प्रतीक होते हैं। दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में इस दिन शिल्पकार और कारीगर अपने औजारों और मशीनों की भी पूजा करते हैं, जैसे विश्वकर्मा पूजा में होती है। इसके साथ ही वाहन पूजा भी दशहरे के दिन प्रमुख रूप से की जाती है, ताकि यात्रा में हमेशा सुरक्षा और शुभता बनी रहे।

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