Hartalika Teej 2024: पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व; तीज व्रत से मिलता है दोगुना फल, पति पत्नी के रिश्ते होते है मजबूत

Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज का त्योहार भाद्रपद मास में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। जानिए हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।

Update: 2024-09-04 05:23 GMT

Hartalika Teej 2024

Hartalika Teej 2024: सनातन धर्म में हरतालिका तीज का त्योहार अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, जो भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से कुंवारी लड़कियों और सुहागिन महिलाओं द्वारा किया जाता है, जिससे उनके वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से विवाह से जुड़ी सभी समस्याएं दूर होती हैं और पति-पत्नी के रिश्ते में मजबूती आती है।

हरतालिका तीज 2024 का शुभ मुहूर्त (Auspicious time of Hartalika Teej 2024)

हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त 06 सितंबर 2024 को सुबह 06:02 बजे से 08:33 बजे तक है। इस मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। पंचांग के अनुसार, तृतीया तिथि 05 सितंबर को दोपहर 12:21 बजे से शुरू होकर 06 सितंबर को दोपहर 03:21 बजे समाप्त होगी। इस अवधि में व्रत रखने से साधक को दोगुना फल प्राप्त होता है।

हरतालिका तीज 2024 की पूजा विधि (Worship method of Hartalika Teej 2024)

हरतालिका तीज के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्पित करें और सूर्य मंत्रों का जाप करें। इसके बाद घर या मंदिर की सफाई करें और भगवान शिव और मां पार्वती की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। भगवान शिव का अभिषेक करें और बेलपत्र, धतूरा चढ़ाएं। मां पार्वती को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें और हरतालिका तीज व्रत कथा का पाठ करें। पूजा के अंत में खीर और फलों का भोग लगाकर मंत्रों का जाप करें।

हरतालिका तीज 2024 के लिए माता पार्वती जी के मंत्र (Mantras of Mata Parvati Ji for Hartalika Teej 2024)

  1. ओम पार्वत्यै नमः
  2. ओम उमाये नमः
  3. या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
  4. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

तीज व्रत के लाभ

हरतालिका तीज व्रत को विधिपूर्वक करने से अविवाहित लड़कियों को जल्द विवाह के योग प्राप्त होते हैं और सुहागिन महिलाओं को अपने पति की लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए, यह व्रत नारी शक्ति के लिए विशेष महत्व रखता है।

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