मानवता शर्मसारः एमपी के शहडोल में बेटी की मौत के बाद अस्पताल से नहीं मिला शव वाहन, बाइक से ले जाने विवश हुए परिजन
MP News: एमपी के शहडोल जिला अस्पताल में उपचार के दौरान एक 13 वर्षीय बालिका की मौत हो गई। जिसके बाद बच्ची के परिजनों ने अस्पताल से एम्बुलेंस की मांग की किंतु उन्हें शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं प्रदान की गई।
मध्यप्रदेश के शहडोल में मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला प्रकाश में आया है। यहां के जिला अस्पताल में उपचार के दौरान एक 13 वर्षीय बालिका की मौत हो गई। जिसके बाद बच्ची के परिजनों ने अस्पताल से एम्बुलेंस की मांग की किंतु उन्हें शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं प्रदान की गई। जिससे परिजन शव को बाइक पर लादकर ले जाने के लिए विवश हुए।
सिकलसेल से पीड़ित थी माधुरी
शहडोल जिला अस्पताल में माधुरी सिंह उम्र 13 वर्ष की उपचार के दौरान मौत हो गई। वह सिकलसेल से पीड़ित थी। उसके शरीर में खून की कमी होने के कारण आईसीयू में भर्ती कर उसे ब्लड चढ़ाया जा रहा था। जिसने सोमवार की रात दम तोड़ दिया। बच्ची के पिता लक्ष्मण सिंह के मुताबिक शव को लेकर उन्हें रात में ही केशवाही के कोटा स्थित घर के लिए निकलना था। उनके द्वारा अस्पताल प्रबंधन से शव वाहन की मांग की गई किंतु प्रबंधन ने कहा कि शव वाहन केवल 15 किलोमीटर के अंदर के लिए ही देते हैं। आपको 70 किलोमीटर दूर जाना है ऐसे में शव वाहन नहीं मिलेगा। इसके साथ ही प्राइवेट शव वाहन करने की सलाह दी गई। किंतु उनके पास निजी वाहन के लिए रुपए नहीं थे। ऐसे में मजबूरी में शव को बाइक पर रखकर ही 70 किलोमीटर की दूर तय करने के लिए निकल पड़े।
लोगों ने डीएम को जानकारी
बच्ची के पिता लक्ष्मण सिंह के मुताबिक वह बाइक पर शव रखकर 70 किलोमीटर दूर कोटा गांव जाने के लिए निकल पड़े थे। शहडोल जिला अस्पताल तक तकरीबन 3 किलोमीटर दूर पहुंचे थे कि राहगीरों ने उनकी बाइक को रुकवाया। इसके बाद घटना के संबंध में जानकारी ली। जिसके बाद मामले से कलेक्टर वंदना वैद्य को अवगत कराया गया। इसके साथ ही सिविल सर्जन को भी इसकी जानकारी दी गई। जिस पर दोनों अधिकारी मौके पर पहुंच गए और शव वाहन का इंतजाम किया, तब वह वाहन से शव लेकर रवाना हुए।
इनका कहना है
इस संबंध में कलेक्टर वंदना वैद्य के मुताबिक रात 11 बजे उन्हें इस बात की सूचना मिली कि किसी व्यक्ति द्वारा बेटी के शव को बाइक पर रखकर ले जाया जा रहा है। जिस पर उनका प्रयास था कि उनको रोककर शव वाहन उपलब्ध कराया जाए। जिसके बाद सामाजिक संगठनों व सिविल सर्जन से बात कर मौके पर पहुंचकर उनको रास्ते में शव वाहन उपलब्ध कराया गया।