REWA : 78 वर्ष की आयु में बंद हुई मजदूर नेता की आवाज, अब डॉक्टरों के पढ़ाई में काम आयेगी विद्याशंकर 'मुफलिस' की बॉडी

मजदूर नेता विद्याशंकर 'मुफलिस' के निधन से मजदूर जगत में शोक।

Update: 2021-09-10 17:02 GMT

ताउम्र मजदूरों की आवाज बनने वाले सीटू के उपाध्यक्ष कामरेड विद्याशंकर तिवारी उर्फ मुफलिस का बीमारी के चलते शुक्रवार को रीवा उपरहटी स्थित निजी निवास में निधन हो गया। उनके निधन की खबर लगते ही मजदूरों, किसानों एवं उनसे जुड़े लोगो में शोक की लहर दौड़ गई है।

मेडिकल कालेज को सौपी जायेगी बॉडी

कामरेड नेता के निधन की जानकारी देते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक किसान नेता शिव सिंह ने बताया कि सामाजिक विचारों से ओत-प्रोत श्री मुफलिस का देह श्यामशाह मेडिकल कालेज को दान में दिया जायेगा। दरअसल विद्याशंकर तिवारी उर्फ मुफलिस ने मृत्यु पूर्व देहदान के लिए फार्म भरा था और उसे रजिस्टर्ड भी करा दिया था। शनिवार को उनका पार्थिव शरीर देह दान के लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को सौपा जाएगा। शिव सिंह ने बताया कि देह दान के लिये उनके परिवार के लोग भी सहमत हो गये है।

जेल जाने के बाद भी नहीं मानते थे हार

आजीवन मजदूरों, किसानों, गरीबों के लिए संघर्ष करते हुए श्री मुफलिस कई बार जेल गए लेकिन उन्होने हार नहीं मानी और अंतिम मुकाम तक लड़ाई लड़ना उनके सिद्धांत में था। वे कई वर्षों से कैंसर बीमारी से पीड़ित थे, शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांसे ली।

अपूरणीय क्षति

विघाशंकर मुफलिस के निधन से किसान मजदूर आंदोलन को अपूरणीय क्षति हुई है। वे सदैव किसान आंदोलन में भी संघर्षरत थे। उनके निधन पर पत्रकार संदीप तिवारी, ग्राम पंचायत अमवा से रामानुज तिवारी, शिवदत्त तिवारी, प्रशांत तिवारी, प्रकाश तिवारी, अमित तिवारी, संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी एवं किसान भैयालाल त्रिपाठी, गया प्रसाद मिश्रा, भागवत प्रसाद पांडे, मास्टर बुद्धसेन पटेल, बद्री प्रसाद कुशवाहा, रामायण सिंह, रामजीत सिंह, कुंवर सिंह, शिव सिंह, मिथिला सिंह, रामनरेश सिंह, गिरिजेश सिंह सेगर, अमित सोहगौरा, संजय निगम, शोभनाथ कुशवाहा, अजय तिवारी, तेजभान सिंह, इंद्रजीत सिंह शंखू, अभिषेक कुमार पटेल, संत कुमार पटेल, जयभान सिंह, विवेक पटेल, अनिल सिंह, राजेंद्र सिंह बरा, सर्वेश सिंह, रमाकांत सिंह, अनूप सिंह धोनी, रत्नेश सिंह आदि ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए मृत आत्मा की शांति के लिए कामना करते हुये कहा कि श्री मुफलिस के निधन से एक संघर्ष का अंत हो गया जिसकी भरपाई अब संभव नहीं हो सकती है।

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