रीवा में चरक आयुर्वेद के विशारद, उनका ग्रंथ आयुष के लिए प्रेरणा, रजत जंयती पर निकली शोभायात्रा
Rajat Jayanti Shobhayatra: रजत जंयती अवसर पर याद किए गए महर्षि चरक।
MP Rewa News: महर्षि चरक की रजत जंयती (Maharishi Charak Rajat Jayanti) अवसर पर आयुष ने उन्हे याद किया और आयुर्वेद की जन-जन तक अलख जगाने के लिए शहर में एक शोभायात्रा निकाली है। रीवा के निपनिया स्थित आयुर्वेद कॉलेज से आयुष छात्रों के द्वारा निकाली गई रैली शहर के प्रमुख मार्गो से होकर गुजरी। छात्र-छात्राओं ने इस दौरान चरक को याद करते हुए लोगों को बताया कि आयुर्वेद में जटिल-से-जटिल बीमारियों का इलाज है। जिसे लोग अपना कर अपने शरीरिक कष्ट से मुक्ति पा सकते है।
चरक ने आयुर्वेद को दिए आयाम
Maharishi Charak Koun The: दरअसल चरक एक महर्षि एवं आयुर्वेद विशारद के रूप में विख्यात हैं। वे कुषाण राज्य के राजवैद्य थे। इनके द्वारा रचित चरक संहिता (Charak Sanhita) एक प्रसिद्ध आयुर्वेद ग्रन्थ है। इसमें रोगनाशक एवं रोगनिरोधक दवाओं का उल्लेख है तथा सोना, चाँदी, लोहा, पारा आदि धातुओं के भस्म एवं उनके उपयोग का वर्णन मिलता है।
आयुर्वेद की इस तरह से की व्याख्या
Maharishi Charak's Aayurved:आचार्य चरक और आयुर्वेद का इतना घनिष्ठ सम्बन्ध है कि एक का स्मरण होने पर दूसरे का अपने आप स्मरण हो जाता है। आचार्य चरक (Acharya Charak) केवल आयुर्वेद के ज्ञाता ही नहीं थे परन्तु सभी शास्त्रों के ज्ञाता थे। उनका दर्शन एवं विचार सांख्य दर्शन एवं वैशेषिक दर्शन का प्रतिनिधित्व करता है। आचार्य चरक ने शरीर को वेदना, व्याधि का आश्रय माना है, और आयुर्वेद शास्त्र को मुक्तिदाता कहा है। आरोग्यता को महान् सुख की संज्ञा दी है, कहा है कि आरोग्यता से बल, आयु, सुख, अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मरीजों की सेवा करते मिली यह उपाधि
Maharishi Charak Name Story: आचार्य चरक, संहिता निर्माण के साथ-साथ वन-वन, स्थान-स्थान घूम-घूमकर रोगी व्यक्ति की, चिकित्सा सेवा किया करते थे तथा इसी कल्याणकारी कार्य तथा विचरण क्रिया के कारण उनका नाम 'चरक' प्रसिद्ध हुआ। चरकसंहिता का आयुर्वेद को मौलिक योगदान है। जिसमें रोगों के कारण तथा उनकी चिकित्सा का युक्तिसंगत दृष्टिकोण एवं चिकित्सकीय परीक्षण की वस्तुनिष्ठ विधियों का उल्लेख है।