महाराष्ट्र कर्नाटक सीमा विवाद क्या है? 18 साल से सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है मामला
What is Maharashtra Karnataka Border Dispute In Hindi: महाराष्ट्र कर्नाटक सीमा विवाद क्या है
महाराष्ट्र कर्नाटक सीमा विवाद: महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद (Maharashtra Karnataka border dispute) और ज़्यादा भड़कने लगा है. यह मामला 18 साल से सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है और इस बीच कितने चीफ जस्टिस आए और गए लेकिन इस डिस्प्यूट को लेकर अंतिम निर्णय नहीं दे पाए. दोनों राज्यों में सीमा को लेकर यह विवाद कोई आज का नहीं बल्कि 50 साल से ज़्यादा पुराना है
महाराष्ट्र कर्नाटक सीमा विवाद की पूरी जानकारी
Complete details of Maharashtra-Karnataka border dispute: महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों राज्यों में बीजेपी की सत्ता है. फिर भी यहां के नेता अपने-अपने राज्य की सीमा को लेकर भसड़ मचाए हुए हैं. मामला जमीन से जुड़ा है. इस मामले में 30 नवंबर को सुनवाई होनी है. यह मुद्दा फिर से इस लिए भड़क उठा क्योंकी महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा- महाराष्ट्र की एक इंच जमीन कर्नाटक में नहीं जाएगी। हमारी सरकार कर्नाटक के बेलगाम, निप्प्णी और कारावार जैसे मराठी भाषी गावों को पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से लड़ाई लड़ेंगे
इसके जवाब में कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा- फडणवीस भड़काऊ भाषण दे रहे हैं. उनका सपना कभी पूरा नहीं होने वाला।हमारी सरकार राज्य की जमीन, जल और सीमा की सुरक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है
महाराष्ट्र कर्नाटक सीमा विवाद का पूरा मामला
बात शुरू होती है 1947 से, देश आजाद हुआ और राज्यों की सीमा तय होने के बाद उनकी स्थापना हुई. इसके लिए श्याम धर कृष्ण आयोग बना और इस आयोग ने भाषा के आधार पर राज्यों के विभाजन को देशहित के खिलाफ बताया।
बाद में जवाहरलाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल और पट्टाभि सीतारमैया की कमेटी बनी 'JPV' जिन्होंने भाषा के आधार पर राज्यों के विभाजन को सही बताया
1953 में पहले राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन हुआ. और 1956 में पुनर्गठन कानून बना. इसके आधार पर 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेश बनें। उस वक़्त पूरा महाराष्ट्र बम्बई और कर्नाटक मैसूर के नाम से जाना जाता था
आज के वक़्त के कर्नाटक के विजयपुरा, बेलगावी, धारवाड़ और उत्तर कन्नड़ उस वक़्त के बंबई रियासत का हिस्सा थे. आज़ादी के बाद जब राज्यों का पुनर्गठन हुआ तो बेलगावी नगर पालिका ने मांग की थी की उन्हें महाराष्ट्र में रहने दिया जाए क्योंकि वह मराठी बोलते हैं
इसके बाद 1956 में जब भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का काम चल रहा था, तब महाराष्ट्र के कुछ नेताओं ने बेलगावी (पहले बेलगाम), निप्पणी, कारावार, खानापुर और नंदगाड को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाने की मांग की थी
मांग के जोर पकड़ने के बाद SC के पूर्व जज मेहर चंद महाजन ने एक आयोग का गठन किया। इस आयोग ने 1967 में अपनी रिपोर्ट सौंपी। आयोग ने आयोग ने निप्पणी, खानापुर और नांदगाड सहित 262 गांव महाराष्ट्र को देने का सुझाव दिया. हालांकि, महाराष्ट्र बेलगावी सहित 814 गांवों की मांग कर रहा था.
महाराष्ट्र दावा करता है कि उन गांवों में मराठी बोलने वालों की आबादी ज्यादा है, इसलिए वो उसे दिए जाएं. जबकि, कर्नाटक का कहना है कि राज्य की सीमाएं पुनर्गठन कानून के तहत फ़ाइनल हुई थीं इसी लिए उसे अब फ़ाइनल ही रहने दिया जाए
2004 में केस दर्ज हुआ
2004 में महाराष्ट्र सरकार ने इस सीमा विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और कर्नाटक के हिस्से में आने वाले मराठी भाषी 814 गावों को महाराष्ट्र में शामिल करने की बात कही. ये मामला अबतक पेंडिंग है और अब 30 नवंबर को इसकी सुनवाई होनी है