1 अप्रैल से बदल जाएंगे कई नियम: लागू हो रहा बजट, 6 बड़े बदलाव होंगे; जानें आपकी जेब और निवेश पर क्या होगा असर
1 अप्रैल 2025 से नया वित्तीय वर्ष शुरू हो रहा है और साथ ही बजट 2025 में घोषित कई महत्वपूर्ण बदलाव लागू हो रहे हैं। टैक्स स्लैब, TDS/TCS की सीमा, यूलिप पर टैक्स और कस्टम ड्यूटी में हुए इन 6 प्रमुख परिवर्तनों को विस्तार से समझें और जानें कि इनका आपके दैनिक जीवन, बचत और निवेश पर क्या प्रभाव पड़ेगा।;

नए वित्तीय वर्ष का आगाज़ और बजट के बदलाव: कल यानी 1 अप्रैल, 2025 से देश में नए वित्तीय वर्ष (Financial Year 2025-26) की शुरुआत हो रही है। इसके साथ ही, केंद्र सरकार द्वारा फरवरी 2025 में पेश किए गए बजट में की गई कई घोषणाएं भी प्रभावी हो जाएंगी। इनमें आयकर नियमों से लेकर सीमा शुल्क तक कई बदलाव शामिल हैं, जिनका सीधा असर आम आदमी की जेब और वित्तीय योजनाओं पर पड़ सकता है।
हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आयकर और सब्सिडी जैसे लाभ अक्सर 1 अप्रैल से लागू हो जाते हैं, जबकि सामाजिक कल्याण या ढांचागत परियोजनाओं का लाभ मिलने में थोड़ा अधिक समय लग सकता है। आइए जानते हैं उन 6 प्रमुख बदलावों के बारे में जो कल से लागू होने जा रहे हैं।
1. आयकर स्लैब में राहत और नया स्लैब लागू होगा
नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) अपनाने वाले करदाताओं के लिए अच्छी खबर है। अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर नहीं देना होगा। यदि आप वेतनभोगी हैं, तो 75,000 रुपये के मानक कटौती (Standard Deduction) को मिलाकर यह छूट 12.75 लाख रुपये तक की आय पर लागू होगी। इसके अतिरिक्त, 20 लाख से 24 लाख रुपये के बीच की आय के लिए 25% का एक नया टैक्स स्लैब पेश किया गया है। पहले, 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर सीधे 30% की उच्चतम दर लागू होती थी, लेकिन अब यह सीमा 24 लाख रुपये कर दी गई है। इस बदलाव से मध्यम और उच्च-मध्यम आय वर्ग के करदाताओं को टैक्स बचाने में मदद मिलेगी।
नई टैक्स रिजीम स्लैब तुलना
2. स्रोत पर कर कटौती (TDS) की सीमा में वृद्धि
सरकार ने विभिन्न भुगतानों पर TDS काटने की सीमा बढ़ाकर राहत प्रदान की है:
- किराये की आय: अब सालाना 6 लाख रुपये तक की किराये की आय पर TDS नहीं कटेगा। पहले यह सीमा 2.4 लाख रुपये थी।
- वरिष्ठ नागरिकों की ब्याज आय: वरिष्ठ नागरिकों को बैंक FD जैसी जमाओं से होने वाली ब्याज आय पर TDS छूट की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है।
- पेशेवर सेवाएं: प्रोफेशनल या तकनीकी सेवाओं के भुगतान पर TDS की सीमा 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई है। इन बदलावों से कम आय वाले व्यक्तियों और पेशेवरों के हाथ में अधिक नकदी उपलब्ध होगी और अनुपालन का बोझ कम होगा।
3. विदेश में शिक्षा हेतु धन भेजने पर TCS में राहत
यदि आप अपने बच्चों की शिक्षा के लिए विदेश में पैसा भेजते हैं, तो स्रोत पर कर संग्रह (TCS) के नियमों में भी राहत दी गई है। अब शिक्षा के उद्देश्य से विदेश भेजे जाने वाले 10 लाख रुपये तक के फंड पर TCS नहीं लगेगा, जबकि पहले यह सीमा 7 लाख रुपये थी। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि यह पैसा किसी वित्तीय संस्थान (जैसे बैंक) से शिक्षा ऋण (Education Loan) के रूप में लिया गया है, तो भेजी जाने वाली राशि पर कोई TCS लागू नहीं होगा। इससे विदेश में पढ़ रहे छात्रों और उनके परिवारों को वित्तीय आसानी होगी।
4. अपडेटेड रिटर्न (ITR-U) दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय
अगर आपने अपना आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय कोई गलती की है या कुछ आय बताना भूल गए हैं, तो उसे सुधारने के लिए अब अधिक समय मिलेगा। करदाता अब संबंधित निर्धारण वर्ष (Assessment Year) समाप्त होने के 48 महीने (चार साल) तक अपना अपडेटेड रिटर्न (ITR-U) दाखिल कर सकते हैं। पहले यह समय सीमा केवल 24 महीने (दो साल) थी। हालांकि, इस सुविधा के साथ अतिरिक्त कर का भुगतान करना होगा:
- 24 से 36 महीनों के भीतर ITR-U दाखिल करने पर देय कर और ब्याज का 60% अतिरिक्त टैक्स लगेगा।
- 36 से 48 महीनों के भीतर ITR-U दाखिल करने पर देय कर और ब्याज का 70% अतिरिक्त टैक्स लगेगा। इस कदम से करदाताओं को अनजाने में हुई गलतियों को सुधारने का पर्याप्त अवसर मिलेगा और स्वैच्छिक कर अनुपालन को बढ़ावा मिलेगा।
5. यूलिप (ULIP) पर लगेगा पूंजीगत लाभ कर
यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) में निवेश करने वालों के लिए यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है। यदि किसी यूलिप पॉलिसी (या पॉलिसियों) का कुल वार्षिक प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से अधिक है, तो उसे अब एक पूंजीगत संपत्ति (Capital Asset) माना जाएगा। इसका अर्थ है कि ऐसी पॉलिसियों के मैच्योरिटी या सरेंडर पर होने वाले लाभ पर पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax) देना होगा।
- यदि पॉलिसी 12 महीने से अधिक समय तक रखने के बाद लाभ होता है, तो इस पर 12.5% की दर से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर (LTCG) लगेगा।
- यदि पॉलिसी 12 महीने से कम समय में भुनाई जाती है, तो इस पर 20% की दर से अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर (STCG) लगेगा। सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि उच्च आय वाले व्यक्ति यूलिप का उपयोग केवल कर-मुक्त निवेश साधन के रूप में न कर सकें, क्योंकि इसका एक हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है।
6. सीमा शुल्क (Custom Duty) में बदलाव: क्या होगा सस्ता, क्या महंगा?
बजट 2025 में लगभग 150-200 उत्पादों पर सीमा शुल्क (Custom Duty) की दरों में बदलाव की घोषणा की गई थी, जो आमतौर पर 1 अप्रैल से लागू होती हैं। हालांकि, कुछ विशेष वस्तुओं के लिए प्रभावी तिथि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) द्वारा जारी अधिसूचना पर निर्भर कर सकती है। इन बदलावों के परिणामस्वरूप कुछ आयातित वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं, जबकि कुछ महंगी होने की संभावना है।
संभावित रूप से सस्ते होने वाले आइटम
- 40,000 डॉलर से अधिक कीमत या 3000cc से अधिक इंजन क्षमता वाली आयातित कारें।
- 1600cc तक इंजन क्षमता वाली CBU (पूर्ण निर्मित इकाई) के रूप में आयातित मोटरसाइकिलें।
- 36 जीवन रक्षक दवाएं (इन पर कस्टम ड्यूटी हटाई गई है)।
- इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की बैटरी निर्माण में लगने वाले 35 प्रकार के पूंजीगत सामान (Duty Free)।
- मोबाइल फोन बैटरी उत्पादन के लिए 28 प्रकार के पूंजीगत सामान (Duty Free)।
संभावित रूप से महंगे होने वाले आइटम
- स्मार्ट मीटर, सौर सेल।
- आयातित जूते, आयातित मोमबत्तियां।
- आयातित नौकाएं और अन्य जहाज।
- पीवीसी फ्लेक्स फिल्म्स, शीट्स और बैनर।
- नीटिंग प्रक्रिया से बने कुछ प्रकार के कपड़े।
- एलसीडी/एलईडी टीवी पैनल।
अन्य घोषणाओं का लाभ कब?
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जबकि टैक्स और ड्यूटी से संबंधित परिवर्तन 1 अप्रैल से प्रभावी हो रहे हैं, बजट में घोषित अन्य योजनाओं, जैसे कि सामाजिक कल्याण योजनाएं (किसानों के लिए नकद सहायता, महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं, या रोजगार सृजन कार्यक्रम) का लाभ लाभार्थियों तक पहुंचने में थोड़ा समय लग सकता है। ऐसी योजनाओं का कार्यान्वयन अक्सर जून-जुलाई तक शुरू हो पाता है। इसी तरह, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (जैसे सड़क, रेल, स्कूल, अस्पताल) के लाभ दिखने में अधिक समय लगता है क्योंकि इनमें योजना, निविदा प्रक्रिया और निर्माण कार्य शामिल होते हैं।