MP में नए वित्तीय वर्ष से महंगाई का झटका: 1 अप्रैल से बिजली, प्रॉपर्टी, टोल समेत कई चीजें महंगी; जानें आपकी जेब पर कितना पड़ेगा असर

मध्य प्रदेश में नए वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत आम आदमी के लिए महंगाई से होने जा रही है। 1 अप्रैल 2025 से बिजली की दरों, प्रॉपर्टी की कीमतों और हाईवे टोल टैक्स में वृद्धि लागू हो गई है। जानिए इन बदलावों का आप पर क्या प्रभाव पड़ेगा और सरकार ने क्या राहत दी है।;

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Update: 2025-04-01 05:31 GMT
MP में नए वित्तीय वर्ष से महंगाई का झटका: 1 अप्रैल से बिजली, प्रॉपर्टी, टोल समेत कई चीजें महंगी; जानें आपकी जेब पर कितना पड़ेगा असर
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नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत महंगाई के बोझ के साथ: मध्य प्रदेश में 1 अप्रैल 2025 से नया वित्तीय वर्ष शुरू हो गया है, लेकिन इसके साथ ही आम जनता पर महंगाई का दबाव भी बढ़ गया है। प्रदेशवासियों को अब बिजली, पानी (संभावित), घर खरीदने और राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा करने जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए पहले से अधिक कीमत चुकानी होगी। सरकार और संबंधित प्राधिकरणों ने कई क्षेत्रों में दरों में वृद्धि की घोषणा की है, जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ना तय है।

बिजली हुई महंगी: दरों में 3.46% की बढ़ोतरी

राज्य विद्युत नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नई बिजली दरें जारी कर दी हैं, जिनमें औसतन 3.46% की वृद्धि की गई है। इसका मतलब है कि घरेलू और व्यावसायिक, दोनों तरह के उपभोक्ताओं को अब प्रति यूनिट बिजली के लिए लगभग 18 पैसे अतिरिक्त चुकाने होंगे। यह वृद्धि पिछले तीन वर्षों में आयोग द्वारा की गई दूसरी बढ़ोतरी है। बिजली बिल में केवल खपत ही नहीं, बल्कि एनर्जी चार्ज, फिक्स चार्ज (जिसे अब समाप्त कर दिया गया है), फ्यूल कॉस्ट और ड्यूटी चार्ज जैसे कई घटक होते हैं, जो दरों में वृद्धि के अनुपात में प्रभावित होते हैं।

सब्सिडी वाली बिजली और अन्य राहतें

हालांकि, सरकार की 'अटल गृह ज्योति योजना' के तहत 100 यूनिट तक मासिक खपत करने वाले उपभोक्ताओं को राहत दी गई है। बढ़ी हुई दर के अनुसार उन पर 24 रुपये का अतिरिक्त भार आना था, लेकिन फिलहाल उन्हें 100 रुपये ही देने होंगे, अतिरिक्त राशि सरकार वहन करेगी। 150 यूनिट तक की खपत पर भी शुरुआती 100 यूनिट के लिए 100 रुपये ही लगेंगे। इसके अलावा, निम्न दाब (घरेलू) और मौसमी उच्च दाब (व्यावसायिक) उपभोक्ताओं के लिए न्यूनतम शुल्क (मिनिमम चार्ज) को समाप्त कर दिया गया है। यानी, अगर किसी घर या फैक्ट्री में बिजली इस्तेमाल नहीं हो रही है, तो उसका बिल नहीं आएगा।

स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए विशेष छूट और शुल्क

जिन उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट मीटर लगे हैं, उनके लिए एक विशेष व्यवस्था की गई है। सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक (दिन के 8 घंटे) बिजली की खपत पर 20% की छूट मिलेगी। इसका उद्देश्य दिन के समय सौर ऊर्जा उत्पादन का अधिकतम लाभ उठाना है। हालांकि, बाकी 16 घंटों में उपयोग की गई बिजली पर 10% अतिरिक्त शुल्क देना होगा। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि स्मार्ट मीटर की लागत, रखरखाव और डेटा प्रबंधन का खर्च भी टैरिफ में जोड़ा जाएगा, जिसे अगले 10 वर्षों में किस्तों में (लगभग 25,000 रुपये) वसूला जाएगा। सामान्य मीटर वाले उपभोक्ता इस घंटे-आधारित छूट और शुल्क प्रणाली का लाभ नहीं उठा पाएंगे।

किसानों पर असर और सरकारी सब्सिडी

बिजली दरों में वृद्धि का असर किसानों पर भी पड़ेगा, जिन्हें प्रति यूनिट लगभग 20 पैसे अधिक देने होंगे। हालांकि, राज्य सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दी है। कृषि पंपों के लिए निर्धारित दरों (जैसे 750 रुपये प्रति हॉर्स पावर) और नियामक आयोग की नई दरों के बीच के भारी अंतर का लगभग 93% हिस्सा सरकार सब्सिडी के रूप में वहन करेगी, जबकि किसानों को केवल 7% बढ़ी हुई राशि देनी होगी। उदाहरण के लिए, सरकार 3 हॉर्स पावर पंप पर 28,480 रुपये और 10 हॉर्स पावर पंप पर 1,08,155 रुपये तक की वार्षिक सब्सिडी देगी।

बिजली दरें क्यों बढ़ाई गईं?

मध्य प्रदेश की तीनों बिजली वितरण कंपनियों ने राजस्व घाटे (लगभग 4107 करोड़ रुपये) की भरपाई के लिए नियामक आयोग से 7.52% टैरिफ वृद्धि की मांग की थी। कंपनियों का तर्क था कि मौजूदा दरों से उनकी लागत पूरी नहीं हो पा रही है। आयोग ने मांग के मुकाबले लगभग आधी, यानी 3.46% की औसत वृद्धि को मंजूरी दी है।

हाईवे पर सफर हुआ महंगा: टोल टैक्स में वृद्धि

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने भी 1 अप्रैल से टोल टैक्स की दरों में वृद्धि कर दी है। इसका असर इंदौर-देवास बायपास, मांगलिया और इंदौर-अहमदाबाद मार्ग जैसे प्रमुख हाईवे पर देखने को मिलेगा। पिछले साल भी कुछ राष्ट्रीय और राज्यीय राजमार्गों पर टोल टैक्स बढ़ाया गया था।

आशियाना खरीदना हुआ और मुश्किल: प्रॉपर्टी के दाम बढ़े

नए वित्तीय वर्ष से प्रदेश के अधिकांश जिलों में कलेक्टर गाइडलाइन के आधार पर प्रॉपर्टी की कीमतों में भी इजाफा हो गया है। भोपाल में 1800 से अधिक इलाकों में और इंदौर जैसे बड़े शहरों में यह लगातार दूसरे साल बढ़ोतरी है। भोपाल में प्रॉपर्टी की दरें 14% तक और इंदौर में 26% तक बढ़ी हैं। इस वृद्धि का रियल एस्टेट सेक्टर और घर खरीदारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

प्रॉपर्टी रेट बढ़ाने पर विरोध और अन्य राज्यों से तुलना

लगातार प्रॉपर्टी रेट बढ़ाने का विरोध भी शुरू हो गया है। क्रेडाई भोपाल ने इस कदम की आलोचना करते हुए गुजरात जैसे राज्यों का उदाहरण दिया, जहां निवेश आकर्षित करने के लिए पिछले 12 वर्षों से दरें नहीं बढ़ाई गई हैं। उनका मानना है कि बार-बार दरें बढ़ाने से बाजार अस्थिर होता है।

महिलाओं के नाम रजिस्ट्री पर छूट जारी

राहत की बात यह है कि यदि प्रॉपर्टी किसी महिला के नाम पर खरीदी जाती है, तो रजिस्ट्री शुल्क में 2% की छूट पहले की तरह जारी रहेगी। हालांकि, बढ़ी हुई कीमतों के कारण कुल रजिस्ट्री खर्च बढ़ गया है। उदाहरण के तौर पर, 50 लाख की प्रॉपर्टी पर रजिस्ट्री चार्ज अब लगभग 87,500 रुपये महंगा होकर 7.12 लाख रुपये के करीब हो गया है।

अन्य संभावित मूल्य वृद्धि

इनके अलावा, भोपाल नगर निगम द्वारा प्रॉपर्टी टैक्स में 10% और पानी के बिल में 15% की वृद्धि करने की तैयारी की खबरें हैं। साथ ही, 1 मई 2025 से एटीएम से निर्धारित मुफ्त सीमा से अधिक बार पैसे निकालने पर लगने वाला शुल्क 21 रुपये से बढ़कर 23 रुपये प्रति ट्रांजैक्शन हो सकता है।

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