क्रिमिनल प्रोसीजर बिल 2022: संसद में बिल पास, जानें क्रिमिनल प्रोसीजर बिल से कानून में क्या बदलाव होंगे

Criminal Procedure Bill 2022: संसद में बुधवार को क्रिमिनल प्रोसीजर बिल पास हो गया है

Update: 2022-04-06 15:02 GMT

Criminal Procedure Bill 2022: बुधवार को संसद में क्रिमनल प्रोसीजर बिल 2022 पास हो गया. इसी के साथ देश की जांच एजेंसियों के अधिकार का दायरा भी बढ़ गया. विपक्ष के विरोध के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में बिल पढ़ा. सरकार के मुताबिक अपराधियों पर लगाम लगाने और उनसे आगे रहने के लिए यह बिल लाया गया है. इससे अपराध में अंकुश लगने का दावा किया जा रहा है। 

क्रिमिनल प्रोसीजर बिल 2022 क्या है 

इस बिल के तहत जांच एजेंसियों को आरोपियों और अपराधियों के निजी बाइलोजिकल डेटा कोलेक्ट करने की शक्ति मिलती है. इसमें पुलिस को अँगुलियों, पैरों, हथेलियों के निशान, रेटिना स्कैन, भौतिक, जैविक सैंपल और उनके विश्लेषण, सिग्नेचर, हैंड राइटिंग और अन्य जानकरी रिकॉर्ड करने की अनुमति मिलती है। 

विपक्ष इस बिल को आम लोगों के मौलिक अधिकार का हनन बता रहा था, बुधवार को संसद में इस बिल को लेकर विपक्ष हमेशा की तरह सरकार पर हमलावर रहा लेकिन अंत में बहुमत के साथ केंद्र ने इस बिल को पास करा ही लिया। 

क्रिमिनल प्रोसीजर बिल 2022 से क्या बदलाव होंगे 

क्रिमिनल प्रोसीजर बिल 2022 कैदियों की पहचान अधिनियम 1920 की जगह लेगा। मौजूदा समय में कानून सिर्फ कैदियों मतलब दोषियों की फिंगरप्रिंट और फुटप्रिंट रिकॉर्ड करने की इजाजत देता है, लेकिन क्रिमिनल प्रोसीजर बिल 2022 में जांच एजेंसियों और पुलिस को आरोपियों और अपराधियों के निजी बाइलोजिकल डेटा कोलेक्ट करने की शक्ति मिलती है. इसमें पुलिस को अँगुलियों, पैरों, हथेलियों के निशान, रेटिना स्कैन, भौतिक, जैविक सैंपल और उनके विश्लेषण, सिग्नेचर, हैंड राइटिंग और अन्य जानकरी रिकॉर्ड करने की अनुमति मिलती है।

इस कानून के दायरे में तीन तरह के लोग आते हैं

पहले- ऐसे लोग जिन्हे किसी अपराध की सज़ा मिली है 

दूसरे- ऐसे गिरफ्तार लोग जिनपर किसी भी कानून के तहत सज़ा का प्रावधान है 

तीसरे- CRPC की धारा 177 के तहत शांति बनाए रखने के लिए जिनपर कार्रवाई हुई है 

कोई सेम्पल देने से मना करे तो? 

बिल में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों को छोड़कर सात साल से कम सज़ा वाले आरोपी बाइलॉजिकल सैम्पल देने से मना कर सकते हैं. अपराधियों के डेटा को NCRB मतलब राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो सुरक्षित रखेगा। इन डेटा को 75 साल के लिए सेव रखा जाएगा। और सज़ा पूरी होने के बाद भी डेटा नष्ट किया जा सकता है. 

पिछला अपराध कानून 102 साल पुराना 

मौजूदा कानून 102 साल पुराना है. एक शताब्दी बीतने के बाद अपराध की प्रकृति में भी बदलाव आए हैं. ऐसे में कानून में बदलाव भी जरूरी है। इस कानून के पास होने से किसी अपराधी द्वारा बार-बार किए गए अपराध पर सबूत न होने की समस्या खत्म हो जाएगी। पुलिस के पास हर अपराधी का डेटा होगा। 


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