MP PMT फर्जीवाड़ा: BHU गोल्ड मेडलिस्ट सॉल्वर व परीक्षार्थी को 3 साल की सजा, कोर्ट ने तीन आरोपियों को किया दोषमुक्त

एमपी पीएमटी फजीवाड़े में दोषी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) की गोल्ड मेडलिस्ट डॉ. स्वाति सिंह और परीक्षार्थी प्रियंका श्रीवास्तव को विशेष सत्र न्यायालय ने 3 साल की सजा सुनाई है।

Update: 2024-01-25 05:03 GMT

ग्वालियर. एमपी पीएमटी कांड फजीवाड़े (MP PMT Fraud) में दोषी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की गोल्ड मेडलिस्ट डॉ. स्वाति सिंह और परीक्षार्थी प्रियंका श्रीवास्तव को विशेष सत्र न्यायालय ने तीन साल की सजा सुनाई है। हालांकि बच्चों का हवाला देकर दोनों को जमानत भी मिल गई। जबकि तीन आरोपी दोषमुक्त हो गए। कोर्ट ने सजा देते हुए कहा कि विवाह के बाद एक भारतीय नारी पर उसके बच्चे, पति व परिवार का दायित्व होता है। इसलिए इन्हें तीन साल का दंड दिया जाता है।

12 हजार 100 रुपए का जुर्माना लगाया है। जबकि शैलेंद्र निरंजन, उमेश बघेल, विशाल यादव को दोषमुक्त कर दिया। विशाल यादव प्रियंका श्रीवास्तव का पति है। सॉल्वर डॉ. स्वाति सिंह उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं।

मामला व्यापमं की 2010 में हुई पीएमटी का है। इसमें प्रियंका श्रीवास्तव को पास कराने के लिए विशाल यादव, शैलेन्द्र निरंजन, उमेश बघेल ने मीडिएटर की भूमिका निभाई। विजय सक्सेना उत्तर प्रदेश की टॉपर स्वाति सिंह को सॉल्वर के रूप में ग्वालियर लेकर आया। स्वाति ने प्रियंका की जगह परीक्षा दी और प्रियंका का चयन हो गया। एक गुमनाम पत्र के आधार पर जांच हुई थी।

मनमानी रिव्यू पिटीशन पर कोर्ट की फटकार, 1 लाख जुर्माना लगाया

जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने मनमाने तरीके से रिव्यू पिटीशन लगाने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने ओआइसी पर एक लाख रुपए जुर्माना लगाया। यह राशि व्यक्तिगत रूप से वसूलने की व्यवस्था दी है। कोर्ट ने साफ किया कि अदालतों में लंबित मामलों की अधिक संख्या से वाकिफ होने के बावजूद इस तरह का रवैया सर्वथा अनुचित है। ऐसी निरर्थक याचिकाएं कोर्ट का कीमती समय बर्बाद करती हैं। साथ ही वित्तीय बोझ बढ़ाती हैं।

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