MP में बिजली फिर महंगी: कोयला ट्रांसपोर्टेशन के नाम पर इजाफा, जानिए अब क्या है नया रेट

MP में बिजली फिर महंगी: मध्यप्रदेश वासियों को एक बार फिर महंगी बिजली का झटका लगने वाला है. इस बार कोयला ट्रांसपोर्टेशन के नाम पर बिजली की दरों में इजाफा किया गया है.

Update: 2022-07-05 04:38 GMT

MP Electricity

MP में बिजली फिर महंगी: मध्यप्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर महंगाई का झटका लगा है. 3 महीने में दूसरी बार बिजली कंपनियों ने दामों में इजाफा कर दिया है. इस बार बिजली के रेट कोयला ट्रांसपोरशन के नाम पर बढ़ाए गए हैं. बिजली वितरण कंपनियों की डिमांड पर मप्र विद्युत नियामक आयोग ने FCA (फ्यूल कॉस्ट एडजस्टमेंट) में 10 पैसे की बढ़ोतरी कर दी है.

मप्र विद्युत नियामक आयोग (MP Electricity Regulatory Commission) ने FCA (फ्यूल कॉस्ट एडजस्टमेंट) में 10 पैसे की बढ़ोतरी कर दी है. इसके पहले 6 पैसे प्रति यूनिट FCA देना होता था. बढ़ोत्तरी के बाद अब बिजली उपभोक्ताओं को 16 पैसे प्रति यूनिट के दर पर एफसीए देना होगा. 

ऐसे बढ़ेगा बिजली का बिल

मान लीजिए आपके बिजली की खपत एक माह में 200 यूनिट तक है. तो आपको जून की अपेक्षा जुलाई में 22 रुपए अधिक का भुगतान करना होगा. ये दर 1 जुलाई से 30 सितंबर तक के लिए है. हालांकि 100 यूनिट तक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं को फिलहाल 100 रुपए ही देने होंगे. क्योंकि इसकी भरपाई सरकार बिजली कंपनियों को सब्सिडी देकर करेगी.

क्या होता है FCA

FCA (फ्यूल कॉस्ट एडजस्टमेंट) यानि ईंधन लागत समायोजन, वह राशि है जो बिजली कंपनी ईधन (Fuel) या कोयले (Coal) की अलग-अलग कीमत के आधार पर बिल में लागू होने वाली अतिरिक्त राशि होती है. कोयला या ईंधन की कीमत मांग और आपूर्ति के आधार पर हर महीने बदलती है. इसके चलते बिजली उत्पादन की लागत भी बदल जाती है. बिजली उत्पादन कंपनियां इसकी वसूली बिजली वितरण कंपनियों से करती हैं. ये चार्ज उपभोक्ताओं पर लगाया जाता है. टैरिफ साल में एक बार तय होता है. वहीं FCA त्रैमासिक (तीन महीने) पर निर्धारित होता है.

उपभोक्ताओं से वसूले जाते हैं FCA

हर तीन माह में मप्र विद्युत नियामक आयोग (MP Electricity Regulatory Commission) की एक बैठक होती है. जिसमें बिजली कंपनियां फ्यूल कास्ट (FC) का निर्धारण नियामक आयोग से कराती हैं. बिजली बनाने में कोयला परिवहन (Coal Transportation) और फ्यूल की कीमतों के आधार पर FCA की दर निर्धारित होती है. कंपनियां बिजली दरों के अलावा उपभोक्ताओं से FCA चार्ज भी वसूलती हैं.

एक साल में FCA में 33 पैसे की बढ़ोतरी

बिजली कंपनियों ने एक साल के अंदर FCA (फ्यूल कॉस्ट एडजस्टमेंट) में 33 पैसे प्रति यूनिट तक की बढ़ोत्तरी कर दी है. साल भर पहले कंपनियां माइनस 17 पैसे फ्यूल कास्ट वसूल रही थीं. अब ये 16 पैसे प्रति यूनिट है.

उपभोक्ताओं के साथ धोखा है ये

रिटायर्ड मुख्य अभियंता राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि बिजली कंपनी ने बिना किसी सूचना के फ्यूल चार्ज बढ़ा दिए हैं. ये एक तरह से उपभोक्ताओं से धोखा है. बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं पर भार लाद रही हैं.

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