Good News: कलेक्टर की सराहनीय पहल, निजी स्कूल संचालक अभिभावकों की जेब पर नहीं डाल सकेंगे डाका
MP News: एमपी ग्वालियर के कलेक्टर ने सराहनीय कदम उठाया है। उनके द्वारा निजी स्कूल संचालकों, प्रकाशकों और विक्रेताओं के सिंडिकेट को तोड़ने के लिए जिले में धारा 144 के तहत निर्देश जारी किए गए हैं।
एमपी ग्वालियर के कलेक्टर ने सराहनीय कदम उठाया है। उनके द्वारा निजी स्कूल संचालकों, प्रकाशकों और विक्रेताओं के सिंडिकेट को तोड़ने के लिए जिले में धारा 144 के तहत निर्देश जारी किए गए हैं। स्कूल संचालक छात्रों के पालकों को अब कलेक्टर द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद नहीं लूट सकेंगे। निजी स्कूलों में जब भी अभिभावक बच्चों का एडमिशन कराने जाते हैं तो वहां भारी भरकम फीस देख उनके पसीने छूट जाते हैं। प्रवेश तक तो ठीक है किंतु इसके बाद भी स्कूल संचालक अभिभावकों को लूटने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। जिसके चलते कलेक्टर ने ठोस कदम उठाया है।
यूनिफार्म व किताबें खरीदने तय देते हैं दुकान
निजी स्कूल संचालक छात्रों के अभिभावकों को लूटने पर आमदा रहते हैं। छात्रों के एडमिशन के दौरान ही अभिभावकों को तय दुकान से ही यूनिफार्म व पुस्तकें खरीदने के लिए भी कहा जाता है। जहां पर अभिभावकों के साथ खेल किया जाता है। वह जब स्कूल संचालकों द्वारा बताई गई दुकान पर जाते हैं तो उन्हें पूरा सेट ही थमाया जाता है। जिसमें ऐसी सामग्री भी रहती हैं जो अनुपयोगी होती हैं। डिक्शनरी, एटलस, ड्राइंग बुक, वाटर कलर्स तक जबरन दी जाती हैं। यह सब नहीं लेने पर उनको किताबें नहीं मिलतीं। ऐसे में अभिभावक एक तो निजी स्कूलों में गाढ़ी कमाई खर्च करता है तो दुकानदार भी उन्हें लुटने के लिए विवश कर देते हैं।
निजी स्कूल चस्पा कराएंगे पुस्तकों की सूची
छात्रों के अभिभावकों के साथ हो रहे इस तरह के बर्ताव पर रोक लगाने ग्वालियर कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने धारा 144 के तहत निर्देश जारी किए गए हैं। जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अब स्कूल संचालक को प्रत्येक कक्षा के लिए जो भी पुस्तकें अनिवार्य हैं उनकी सूची स्कूल की वेबसाइट और सार्वजनिक जगहों पर चस्पा करना आवश्यक होगा। इसके साथ ही उसकी एक सूची अभिभावकों को भी उपलब्ध करानी होगी। वहीं जब तक परिणाम नहीं आ जाता, अगली क्लास के लिए किताबें खरीदने बाध्य नहीं किया जाएगा। 30 अप्रैल तक का समय बच्चों के ओरियंटेशन, व्यवहारिक और मनोवैज्ञानिक पद्धति से शिक्षण में किया जा सकेगा। स्कूल जिस भी शिक्षा मंडल से संबंधित है, उसी से संबंधित किताबें खरीदने के लिए पालकों को बाध्य किया जा सकेगा।
यूनिफॉर्म में तीन साल तक नहीं कर सकेंगे परिवर्तन
कलेक्टर द्वारा जारी किए गए निर्देश में यह भी कहा गया है कि कोई भी विद्यालय ज्यादा से ज्यादा दो यूनिफॉर्म निर्धारित कर सकेगा। इसके साथ ही इसमें तीन साल तक परिवर्तन नहीं होगा। वार्षिक उत्सव या किसी अन्य आयोजन पर किसी भी तरह की अन्य वेशभूषा खरीदने के लिए पालकों को बाध्य नहीं किया जा सकेगा। यदि किसी छात्र के पास पुरानी किताबें उपलब्ध हैं तो वह उसी के सहारे अपनी पढ़ाई कर सकेगा। उसको नई किताब खरीदने के लिए विवश नहीं किया जाएगा। कलेक्टर ने यह स्पष्ट कहा है कि इस आदेश के उल्लंघर पर धारा 188 भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता के तहत कार्रवाई की जा सकेगी। इसमें स्कूल प्राचार्य, संचालक या मालिक सभी दोषी होंगे।