करवां चौथ पर चलनी से चद्रमा एवं पति का पत्निया आखिर क्यों करती है दर्शन
करवां चौथ का पर्व बुधवार को मनाया जा रहा है। इस दौरान सुहागन महिलाएं अपने पति के दीर्धायु की कामना को लेकर उपवास रखेगी।
करवां चौथ पर चलनी से चद्रमा एवं पति का पत्निया आखिर क्यों करती है दर्शन
करवां चौथ का पर्व बुधवार को मनाया जा रहा है। इस दौरान सुहागन महिलाएं अपने पति के दीर्धायु की कामना को लेकर उपवास रखेगी। वे रात में चंद्रमा एवं पति का एक साथ दर्शन करके इस उपवास को पूरा करेगी।
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सीधे तौर पर चन्द्रमा एवं पति का नही करेगी दर्शन
मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें सीधे नहीं देखी जाती हैं, उसके मध्य किसी पात्र या छलनी द्वारा देखने की परंपरा है क्योंकि चंद्रमा की किरणें अपनी कलाओं में विशेष प्रभावी रहती हैं। जो लोक परंपरा में चंद्रमा के साथ पति-पत्नी के संबंध को उजास से भर देती हैं। चूंकि चंद्र के तुल्य ही पति को भी माना गया है, इसलिए चंद्रमा को देखने के बाद तुरंत उसी छलनी से पति को देखा जाता है। इसका एक और कारण बताया जाता है कि चंद्रमा को भी नजर न लगे और पति-पत्नी के संबंध में भी मधुरता बनी रहे।
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मन को मन से जोड़ने का भाव
चंद्रमा को अर्घ्य देने के पीछे वास्तविक रूप से मन को मन से जोड़ने का भाव छिपा है। कहा जाता है कि हमारा मन चंचल है मगर चांद अपनी शीतलता के कारण जाना जाता है। यही वजह है कि इसी शीतलता के जरिए मन को नियंत्रित करने के लिए अर्घ्य देना शुभ होता है।
वैसे भी ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का नियंत्रक कहा गया है। मन हर वक्त बुद्धि पर बल डालता रहता है और बुद्धि परास्त हुई तो दाम्पत्य जीवन कलह से घिर जाता है। इसलिए चांद और उसकी चांदनी का इतना महत्व है।