मध्यप्रदेश में सियासत फिर तेज़, पार्टी में मौजूद सिंधिया समर्थकों से परेशान हैं कांग्रेस, कार्रवाई शुरू की

मध्यप्रदेश में एक बार फिर सियासत तेज़ होते हुए दिख रही है. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तो मार्च में कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया, लेकिन अभी भी बड़ी

Update: 2021-02-16 06:21 GMT
मध्यप्रदेश में एक बार फिर सियासत तेज़ होते हुए दिख रही है. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तो मार्च में कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में उनके समर्थक पार्टी में मौजूद हैं. जिन पर अब प्रदेश कांग्रेस कार्रवाई शुरू कर चुकी है. इन समर्थकों से कांग्रेस परेशान होते दिख रही है। 
दरअसल, कांग्रेस में मौजूद सिंधिया समर्थकों की वजह से पार्टी में आस्था की असमंजसता लगातार बनी हुई है. मध्यप्रदेश कांग्रेस का मानना है ऐसे लोग पार्टी को आने वाले उपचुनाव के समय भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. भोपाल हो या ग्वालियर या कोई अन्य जिला, सिंधिया या उनके समर्थक नेताओं के विश्वस्त कांग्रेस में हैं, जिनमें से कुछ नेता खुलकर उनके साथ काम कर रहे हैं तो कुछ उपचुनाव में टिकट जैसे अच्छे अवसर का इंतजार कर रहे हैं।

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वहीं, प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जिलों से आने वाली शिकायतों पर अब कार्रवाई करना शुरू कर दी है, जिसके तहत एक सप्ताह में चार सिंधिया समर्थक नेताओं का निष्कासन किया जा चुका है। सिंधिया ने दस मार्च को कांग्रेस छोड़ी थी। इसके बाद प्रदेश में राजनीतिक उठापटक हुई, जिसमें कांग्रेस की कमल नाथ सरकार चली गई।
उस समय सिंधिया के साथ उनके समर्थक 22 विधायकों ने पार्टी छोड़ी थी और उनके साथ प्रदेश के करीब 100 बड़े नेताओं व पदाधिकारियों ने कांग्रेस छोड़ दी थी। इसके बाद भी कई ऐसे नेता थे, जो कांग्रेस में रहे, लेकिन उनकी आस्था सिंधिया व उनके समर्थक मंत्री-विधायकों के प्रति है।

सिलावट-चौधरी के साथ घूम रहे थे, हटाया

सिंधिया के प्रति आस्था रखने वाले कई ऐसे नेता शिवराज सरकार में मंत्री तुलसीराम सिलावट अथवा पूर्व मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी के साथ जिलों में घूमते दिखाई दिए। करीब डेढ़ महीने बाद पार्टी ने ऐसे नेताओं के खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई की है। एक सप्ताह में पीसीसी ने सिलावट-डॉ. चौधरी के साथ क्षेत्र में दौरे करने वाले चार पदाधिकारियों को हटा दिया है।

कुछ नेताओं को टिकट वितरण का इंतजार

ग्वालियर क्षेत्र के कुछ नेता टिकट वितरण का इंतजार कर रहे हैं। ये नेता सिंधिया के साथ जुड़े रहे हैं और उनके भाजपा में जाने के बाद वे उनका स्वागत भी कर चुके हैं। एक दिवंगत नेता के पुत्र भी इसी आस में कांग्रेस का दामन थामे हैं।

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वहीं, भोपाल में सिंधिया के समर्थन में बड़े-बड़े झंडे लेकर स्वागत करने वाले अल्पसंख्यक नेताओं ने अपनी आस्था पार्टी के किसी दूसरे नेता में दिखाई नहीं है और सिंधिया के जाने के बाद से ये लोग शांत हैं।
रायसेन जिले में दो नेताओं के निष्कासन के बाद भी एक नेता अभी भी सिंधिया का झंडा लेकर वहां चल रहे हैं और कांग्रेस पार्टी में हैं। हालांकि जिला कांग्रेस कमेटी ने उन्हें चेतावनी दे दी है। ख़बरों की अपडेट्स पाने के लिए हमसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी जुड़ें: 
 

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