एमपी के ग्वालियर में ऑनलाइन प्रोडक्ट में इन्वेस्ट के नाम पर ठगी, 100 युवा बेरोजगार हुए शिकार

ग्वालियर में ऑनलाइन प्रोडक्ट में इन्वेस्ट के नाम पर युवा बेरोजगारों को ठगने का मामला प्रकाश में आया है। अब तक लगभग शहर के 100 से अधिक युवा इस ठगी का शिकार हो चुके हैं।

Update: 2022-12-17 09:56 GMT

ग्वालियर में ऑनलाइन प्रोडक्ट में इन्वेस्ट के नाम पर युवा बेरोजगारों को ठगने का मामला प्रकाश में आया है। अब तक लगभग शहर के 100 से अधिक युवा इस ठगी का शिकार हो चुके हैं। मामले को लेकर युवा एसएसपी कार्यालय पहुंचे और अपनी शिकायत दर्ज कराई। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

क्या है मामला

बोस्टन डायनामिक्स नाम से संचालित ऑनलाइन कंपनी ने सोशल मीडिया के जरिए युवा बेरोजगारों को अपने जाल में फंसाकर इनके साथ ठगी को अंजाम दिया गया। कंपनी द्वारा पहले तो इन्हें अपने क्लब में शामिल किया गया इसके बाद 5 से 50 हजार रुपए के प्रोडक्ट खरीदकर उसमें प्रॉफिट देने का लालच दिया गया। इस दौरान जब युवा कोई प्रोडक्ट खरीदते थे तो प्रतिदिन उनके अकाउंट में कुछ न कुछ प्रॉफिट भी डाला जाता था। युवाओं की मानें तो 10 हजार रुपए की खरीद में प्रतिदिन 500 रुपए उनके अकाउंट में भेजे जाते थे।

बड़ी राशि कर दी इन्वेस्टमेंट

युवाओं की मानें तो बोस्टन डायनामिक्स का पूरा खेल ऑनलाइन सोशल मीडिया पर चल रहा है। ग्वालियर के लगभग 100 बेरोजगार युवाओं को अपनी ठगी का शिकार बनाया है। जिनके द्वारा एसएसपी कार्यालय पहुंचकर मामले की शिकायत दर्ज कराई है पुलिस ने भी मामले को जांच में लिया गया है। बताया गया है कि धीरे-धीरे युवा कंपनी के जाल में फंसते गए और बड़ी राशि इन्वेस्टमेंट कर दी किंतु कंपनी द्वारा कोई प्रॉफिट नहीं दिया गया। कंपनी का न तो कोई कार्यालय संचालित है और न ही कोई ठिकाना उन्हें मालूम है जिसके बाद अब वह अपनी डूब राशि पाने इधर-उधर भटक रहे हैं।

यूपीआई के जरिए पैसा लेती व देती थी

बिजौली के सियावरी गांव निवासी 24 वर्षीय रविन्द्र सिंह राणा की मानें तो वह जॉब सर्च कर रहा था। इस बीच उसके दोस्त द्वारा इस कंपनी के बारे में बताया गया। जिसके बाद वह अपने दोस्तों के साथ इसमें जुड़ गया। रविन्द्र द्वारा पहले तो कंपनी में 4500 रुपए लगाए गए और प्रोडक्ट भी खरीदे थे। जिस पर उसे 234 रुपए रोज उसकी खरीद पर प्रॉफिट मिलने लगे। जिसके बाद उसके द्वारा फिर 4500 लगाए गए। प्रॉफिट मिलने के बाद उनके द्वारा 25 हजार रुपए से 50 हजार हजार तक लगा दिए गए। किन्तु राशि बढ़ाने के बाद प्रॉफिट मिलना बंद हो गया। उनके साथ जुड़े दोस्तों के साथ भी ऐसा ही हुआ। रविन्द्र की मानें तो यह कंपनी केवल वॉटसएप ग्रुप पर ही एक्टिव रहती थी। वॉटसएप पर ही प्रोडक्ट खरीदने के लिए ऑफर देकर यूपीआई के जरिए पैसे का लेन-देन किया जाता था। बड़ी पूंजी फंसाने के बाद जब उन्हें कोई प्रॉफिट नहीं मिला तो उनकी समझ में आया कि वह ठगी का शिकार हो चुके हैं।

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