छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र का आगाज, दी गई दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि

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Update: 2021-02-16 05:56 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र का सोमवार को आगाज हुआ। चौथी विधानसभा के आखिरी सत्र के पहले दिन आज दिवंगत पूर्व सांसद केयूर भूषण, पूर्व मंत्री हेमचंद यादव और विक्रम भगत को सदन में श्रद्धांजलि दी गई।

इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि केयूर भूषण के साथ एक युग समाप्त हो गया। उन्होंने कहा कि हमने गांधीजी को काम करते नहीं देखा, लेकिन केयूरजी को गांधी के सिद्धांतो पर चलकर काम करते हुए जरुर देखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि केयूरजी 17 साल की उम्र में जेल गए थे। 90 साल की उम्र में भी महीने में कम से कम एक बार आकर मुझे मार्गदर्शन देते थे। वहीं पूर्व मंत्री हेमचंद यादव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि उनके भीतर अद्भुत क्षमता थी। उनकी अजातशत्रु की भूमिका थी, उनका कोई शत्रु नहीं रहा। हमने तय किया कि ऐसे व्यक्ति की हमेशा छाप बनी रही, इसलिए दुर्ग विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर किया। डॉ. ने कहा कि विक्रम भगत जशपुर के एक सशक्त नेतृत्वकर्ता रहे। वे एक मिसाल थे।

कांग्रेस विधायक दल की ओर से दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि हेमचंद के साथ मुझे विधानसभा में काम करने का मौका मिला था। जब वे मंत्री थे तो हमने क्षेत्र के संबंध में उनसे अपनी बातें रखी, हमेशा उन्होंने मुस्कुराते हुए हमारी बात सुनी। कभी ऐसा लगने नहीं दिया कि हम दूसरे दल के सदस्य हैं। सिंहदेव ने कहा कि केयूर भूषण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. छत्तीसगढ़ी साहित्यिक क्षेत्र में उनकी भूमिका अग्रणी रही है। 14 साल की उम्र में महात्मा गांधी के आह्वान पर असहयोग आंदोलन के तहत अपनी गिरफ्तारी दी। सबसे कम उम्र के बंदी के रूप में उनका नाम रहा। सिंहदेव ने कहा कि विक्रम भगत 45 सालों तक राजनीतिक जीवन मे रहे। उन्हें भी हम श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

संसदीय कार्यमंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि हेमचंद यादव के साथ रहने से हम कभी टूटे नहीं, बिखरे नहीं। विपरीत परिस्थितियों में भी वह कहते थे सब ठीक हो जाएगा। उनका जाना मेरे जैसे कई लोगों के लिए व्यक्तिगत क्षति है। उन्होंने कहा कि केयूर भूषण राजनीतिक और साहित्यिक जीवन के इनसाइक्लोपीडिया थे। धर्मांतरण विरोधी कानून लाने में वह बड़े हस्ताक्षर थे।

कांग्रेस विधायक और पीसीसी अध्यक्शह भूपेश बघेल ने दिवंगत नेताओं को सदन में श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि तीनों नेताओं को मैं अपनी ओर से श्रद्धाजंलि अर्पित करता हूं। तीनों में एक समानता थी। तीनों सरल-सहज थे। उनका जाना छत्तीसगढ़ के लिए बड़ी क्षति रही है।

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