भेल अब ट्रेनों का पूरा रैक बनाएगा, वंदे भारत सुपरफास्ट से करेगा शुरुआत

भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल, भेल) द्वारा अब ट्रेनों का पूरा रैक तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही मरम्मत की जिम्मेदारी भी संभालेगा। केन्द्र सरकार की मेक इन इंडिया कॉन्सेप्ट के तहत यह प्रयोग किया जा रहा है।

Update: 2022-12-08 09:26 GMT

भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल, भेल) द्वारा अब ट्रेनों का पूरा रैक तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही मरम्मत की जिम्मेदारी भी संभालेगा। केन्द्र सरकार की मेक इन इंडिया कॉन्सेप्ट के तहत यह प्रयोग किया जा रहा है। भेल द्वारा ट्रेनों का पूरा रैक तैयार करने की शुरुआत हाईस्पीड वंदे भारत सुपरफास्ट से होगी जिसके लिए 16 रैक बनाए जाएंगे।

कई और ऑर्डर मिलने की संभावना

बीएचईएल भोपाल के अपर महाप्रबंधक पी एण्ड पीआर विनोदानंद झा की मानें तो बातचीत का दौर जारी है जिससे भारतीय रेलवे से भेल को ऐसे कई और ऑर्डर मिलने की संभावना है। अभी तक भेल के झांसी कारखाने में केवल मालगाड़ियों के इंज नही बनाए जाते रहे हैं। जबकि बीएचईएल भोपाल में एक्सप्रेस ट्रेनों के इंजन को चलाने वाली ट्रेक्शन मोटर का भी निर्माण किया जा चुका है। भेल अधिकारियों की मानें तो ऐसा पहली बार होगा जब भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड किसी ट्रेन का पूरा रैक तैयार करेगी।

भेल यह करती है निर्माण

भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड द्वारा हैवी इलेक्ट्रिक मोटर्स, हैवी ट्रांसफॉमर्स समेत अन्य हैवी इलेक्ट्रिक उपकरणों का निर्माण किया जाता है। इतना ही नहीं बीएचईएल को जमीन, छत और पानी से लेकर अंतरिक्ष में सोलर सिस्टम लगाने का अनुभव भी है। बीएचईएल द्वारा सभी प्रकार के सोलर प्लांटों को भी डेवलप किए जाते हैं। जिसके अंतर्गत कैनल टॉप, रूफ टॉप, ग्राउंड माउंटेड, स्पेस ग्रेड सोलर, सोलर पम्प, फ्लोटिंग सोलर आदि शामिल हैं। पब्लिक सेक्टर की बीएचईएल देश की अर्थव्यवस्था के मुख्य क्षेत्रों के लिए प्रोडक्ट्स, सिस्टम्स और सर्विसेज में डिजाइन, इंजीनियरिंग, निर्माण, परीक्षण, कमीशन को लेकर काम कर रही है। इसमें बिजली, उद्योग, परिवहन, ऊर्जा, तेल, गैस और रक्षा आदि शामिल हैं।

35 साल में कितना होगा भुगतान

आगामी 35 वर्षों के लिए किया गया यह पूरा सौदा 58 हजार करोड़ रुपए का है। इसके लिए भेल ने टीटागढ़ वैगन्स के साथ एक गठजोड़ बना लिया है। सूत्रों के अनुसार रेलवे इस सौदे के तहत 26 हजार करोड़ रुपए रेलगाड़ियों की आपूर्ति के लिए अग्रिम दिए जाएंगे। इसके साथ ही इनके मेंटीनेंस के लिए 35 साल में 32 हजार करोड़ का भुगतान किया जाएगा।

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