Sanjay Dutt के पिता और दिग्गज Sunil Dutt ने बनाया था यह World Record, जानिए
सुनील दत्त (Sunil Dutt) की फिल्म 'यादें' (Yaadein) ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Guinness Book of World Records) करने में कामयाबी पाई थी।
Sunil Dutt Guinness World Records: हिंदी सिनेमा का इतिहास काफी लंबा है। इस सिनेमा को आगे बढ़ाने के लिए कई अभिनेताओं का बेहद अहम योगदान भी रहा है। एक ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने बॉलीवुड को काफी आगे बढ़ाने में काफी सहयोग दिया उनका नाम था सुनील दत्त। दर्शक के अभिनय के दीवाने थे। वहीं इनकी चाहने वालों की लिस्ट काफी लंबी है। बॉलीवुड का ये टैलेंटेड अभिनेता 25 मई 2005 को दुनिया से अलविदा हो गया। लेकिन क्या आपको इस अभिनेता के बारे में पता है, सुनील दत्त ने एक ऐसी फिल्म बनाई थी जिसका नाम 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' (Guinness Book of World Records) में दर्ज किया गया है।
बहरहाल भारत में एक ऐसी फिल्म बन चुकी थी। जिसने एक नया रिकॉर्ड कायम किया क्योंकि इस फिल्म में केवल एक ही एक्टर था। वो कोई और नहीं सुनील दत्त थे। ये फिल्म 'यादें' के निर्माता और निर्देशक भी थे। इस फिल्म को रिलीज 1964 में रिलीज की गई थी। ये उस जमाने की ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म थी और आपको जानकर ये काफी दिलचस्प लगेगा। कि इस फिल्म की शुरुआत में ही लिखकर आता है 'वर्ल्ड फर्स्ट वन एक्टर मूवी' (World First One Actor Movie)
फिल्म में सुनील दत्त का किरदार घर में प्रवेश लेता है और वो देखता है कि उसकी पत्नी और बच्चे घर में मौजूद नहीं है। उसे ऐसा लगता है कि वो उसे छोड़कर हमेशा के लिए चले गए आगे ।जब वो अकेला होता है तो सिर्फ खुद से बातें करता है। वक्त में पीछे झांककर देखता है। आसपास की चीजों से गुफ्तगू करता है और कहानी इस तरह आगे बढ़ती है। फिल्म में अभिनेत्री नरगिस की आवाज भी सुनाई देती है।
वहीं इस फिल्म के क्यूरेटर फिल्म इतिहासकार और लेखक अमृत गंगर का कहना था कि इस फिल्म में जो कुछ भी पर्दे पर दिखाया गया।वो महज अकेलेपन का एहसास दिलाने की कोशिश की गई है। आखिर क्या होता है जब उस किरदार के साथ जब वो घर आता है और उसे पता लगता है कि उसकी पत्नी और बच्चे उसे कहीं छोड़ कर चले गए।वो अपने आसपास पड़े सामान से ही बतियाने लग जाता है और असल मायने में वो कहीं न कहीं एहसास में जीवित हो उठते हैं।
वहीं इस फिल्म को अपने कंधे पर रखकर दर्शकों को एंटरटेन करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। अमृत गंगर का कहना है कि इस फिल्म में जो कुछ भी दिखाया गया। अगर उसे तकनीकी के लिहाज से देखा जाए, तो इससे पहले नाटक और रंगमंच में ऐसा ही होता है, लेकिन थिएटर में ये काम काफी जटिल होता है क्योंकि वहां ऑडियंस की मौजूदगी होती है और अकेले आपको सब कुछ हैंडल कर पाना काफी कठिन होता है। और इसमें रीटेक भी नही होता।