Adipurush Controversy के बाद लेखक मनोज मुंतशिर ने लिखा लंबा-चौड़ा भावुक पोस्ट, कहा- हटाए जाएंगे 'विवादित डायलॉग'
Manoj Muntashir On Adipurush Dialogue: ओम राउत की फिल्म आदिपुरुष रिलीज के बाद से विवादों में है. विवाद VFX और फिल्म में कुछ डायलॉग को लेकर है. जिसके बाद अब फिल्म के डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर ने लंबा चौड़ा भावुक पोस्ट ट्वीट किया है.
Manoj Muntashir On Adipurush Dialogue: ओम राउत की फिल्म आदिपुरुष रिलीज के बाद से विवादों में है. विवाद VFX और फिल्म में कुछ डायलॉग को लेकर है. जिसके बाद अब फिल्म के डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir) ने लंबा चौड़ा भावुक पोस्ट ट्वीट किया है और फिल्म से विवादित डायलॉग हटाने की बात कही है. आदिपुरुष के डायलॉग राइटर मनोज मुंतशिर ने रविवार को ट्वीट कर कहा है कि, फिल्म में जो डायलॉग्स लोगों को पसंद नहीं आ रहें हैं, उन्हें रिप्लेस किया जाएगा.
बता दें 16 जून को रिलीज हुई आदिपुरुष एक तरफ जबरदस्त कमाई कर रही है, वहीं दूसरी तरफ विवादों (Adipurush Controversy) में भी आ गई है. कुछ सीन्स और डायलॉग को लेकर फिल्म को बैन कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई गई है. ओम राउत द्वारा निर्देशित आदिपुरुष में साउथ सिने स्टार प्रभास, बॉलीवुड एक्ट्रेस कृति सेनन, सैफ अली खान, सनी सिंह मुख्य किरदार में हैं.
इस बीच आदिपुरुष फिल्म के डायलॉग लेखक मनोज मुंतशिर सामने आएं हैं और अपना पक्ष रखा. उन्होने फैंस को तसल्ली दी कि जिन भी संवादों के चलते फैंस को दुःख हुआ है या उनकी भावनाएं आहात हुई हैं, उन डॉयलॉग्स को कुछ दिनों के अंदर बदल दिया जाएगा. पहले आदिपुरुष के वो डायलॉग (Controversial dialogues of Adipurush) पढ़ें, जिनकी वजह से विवाद हो रहा है.
आदिपुरुष के विवादित डायलॉग (Controversial dialogues of Adipurush)
- कपड़ा तेरे बाप का! तेल तेरे बाप का ! जलेगी भी तेरे बाप की
- तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने चला आया.
- जो हमारी बहनों को हाथ लगाएगा उनकी लंका लगा देंगे.
- आप अपने काल के लिए कालीन बिछा रहे हैं.
- मेरे एक सपोले ने तुम्हारे शेषनाग को लंबा कर दिया अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है.
पढ़ें, मनोज मुंतशिर का पोस्ट
"रामकथा से पहला पाठ जो कोई सीख सकता है, वो है हर भावना का सम्मान करना.
सही या ग़लत, समय के अनुसार बदल जाता है, भावना रह जाती है.
आदिपुरुष में 4000 से भी ज़्यादा पंक्तियों के संवाद मैंने लिखे, 5 पंक्तियों पर कुछ भावनाएँ आहत हुईं.
उन सैकड़ों पंक्तियों में जहाँ श्री राम का यशगान किया, माँ सीता के सतीत्व का वर्णन किया, उनके लिए प्रशंसा भी मिलनी थी, जो पता नहीं क्यों मिली नहीं.
मेरे ही भाइयों ने मेरे लिये सोशल मीडिया पर अशोभनीय शब्द लिखे.
वही मेरे अपने, जिनकी पूज्य माताओं के लिए मैंने टीवी पर अनेकों बार कवितायें पढ़ीं, उन्होंने मेरी ही माँ को अभद्र शब्दों से संबोधित किया.
मैं सोचता रहा, मतभेद तो हो सकता है, लेकिन मेरे भाइयों में अचानक इतनी कड़वाहट कहाँ से आ गई कि वो श्री राम का दर्शन भूल गये जो हर माँ को अपनी माँ मानते थे.
शबरी के चरणों में ऐसे बैठे, जैसे कौशल्या के चरणों में बैठे हों.
हो सकता है, 3 घंटे की फ़िल्म में मैंने 3 मिनट कुछ आपकी कल्पना से अलग लिख दिया हो, लेकिन आपने मेरे मस्तक पर सनातन-द्रोही लिखने में इतनी जल्दबाज़ी क्यों की, मैं जान नहीं पाया.
क्या आपने ‘जय श्री राम’ गीत नहीं सुना,
‘शिवोहम’ नहीं सुना,
‘राम सिया राम’ नहीं सुना?
आदिपुरुष में सनातन की ये स्तुतियाँ भी तो मेरी ही लेखनी से जन्मी हैं.
‘तेरी मिट्टी’ और ‘देश मेरे ’भी तो मैंने ही लिखा है.
मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है, आप मेरे अपने थे, हैं और रहेंगे.
हम एक दूसरे के विरुद्ध खड़े हो गये तो सनातन हार जायेगा.
हमने आदिपुरुष सनातन सेवा के लिए बनायी है, जो आप भारी संख्या में देख रहे हैं और मुझे विश्वास है आगे भी देखेंगे.
ये पोस्ट क्यों?
क्योंकि मेरे लिये आपकी भावना से बढ़ के और कुछ नहीं है.
मैं अपने संवादों के पक्ष में अनगिनत तर्क दे सकता हूँ, लेकिन इस से आपकी पीड़ा कम नहीं होगी.
मैंने और फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक ने निर्णय लिया है, कि वो कुछ संवाद जो आपको आहत कर रहे हैं,
हम उन्हें संशोधित करेंगे, और इसी सप्ताह वो फ़िल्म में शामिल किए जाएँगे.
श्री राम आप सब पर कृपा करें!"
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