Musical Steps Temple: अद्भुत है शिव जी का मंदिर, सीढ़ियों से निकलते है संगीत के सभी धुन

Musical Steps Temple: यह इतना सुविख्यात मंदिर है कि यूनेस्को ने इसे वैश्विक धरोहर घोषित किया है।

Update: 2022-08-01 08:45 GMT

Airavatesvara Temple: भले ही अन्य धर्म के लोगों द्वारा यह कहा जाता है कि हिंदू धर्म (Hindu Dharma) में अनेक देवी-देवताओं पूजने की प्रथा है। लेकिन शायद उन्हें यह नहीं पता कि भारत की प्रकृति में ही विविधता है। ऐसे-ऐसे अलौकिक मंदिर, देवी, देवता विराजमान है जिनके बारे में सुनकर आज भी लोग दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं। इस वैज्ञानिक युग में इस तरह का होना अपने आप में प्रकृति के निर्माण का जीता जागता उदाहरण। ऐसे में अगर यहां विभिन्न देवी देवताओं को पूजा जाता है तो वह हैरान होने वाली बात नहीं है।

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अद्भुत शिव मंदिर

तमिलनाडु (Tamilnadu) के कुंभकोणम के पास दारासुरम में एरावतेश्वरा मंदिर (Airavatesvara Temple)। यह इतना सुविख्यात मंदिर है कि यूनेस्को ने इसे वैश्विक धरोहर घोषित किया है। एरावतेश्वरा मंदिर के निर्माण संबंध में कहा जाता है कि 12 वीं सदी में इसे बनाया गया। यह भगवान भोलेनाथ को समर्पित कई अलौकिकताओं से परिपूर्ण है।

क्या है मंदिर में खास

Airavatesvara temple Architectureअगर इस एरावतेश्वरा मंदिर की खासियत के बारे में चर्चा करेंगे तो पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण देवताओं के राजा इंद्र के सफेद हाथी ऐरावत द्वारा भगवान शिव की पूजा करने के लिए बनवाया गया। मंदिर की खासियत है कि यहां द्रविड़ शैली में बहुत कुछ ठीक है। मंदिर रथ की संरचना में दिखाई देता है। मंदिर की दीवारों पर इंद्र, अग्नि, वरुण, वायु, ब्रह्मा, विष्णु, सप्त ऋषि, दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, गंगा, जमुना तथा अन्य कई देवी-देवताओं के चित्र अंकित है।

प्रचलित है एक कथा

Airavatesvara temple Story: कहा जाता है कि इंद्र का एरावत हाथी सफेद रंग का था। हाथी की सुंदरता उसका सफेद होना था। लेकिन एक बार दुर्वासा ऋषि किसी कारणवश ऐरावत हाथी पर नाराज हो गए और उन्होंने ऐरावत को सफेद से काला हो जाने का श्राप दे दिया। ऐसे में एरावत हाथी बहुत दुखी हुआ और बताए हुए उपाय के अनुसार इस मंदिर के पवित्र जल में स्नान कर दोबारा अपना रंग प्राप्त कर लिया था।

सबसे बड़ी खासियत

Airavatesvara Musical Steps Templeमंदिर के संबंध में सबसे बड़ी खासियत यह बताई जाती है कि मंदिर में प्रवेश करने पर पत्थर की बनी सीढ़ियां बहुत ही मनभावन हैं। कहा जाता है कि जैसे ही हम सीढ़ी पर पैर रखेंगे हर सीढ़ी से अलग-अलग ध्वनि निकलती है। कहा जाता है कि संगीत के सातों सुर इन सीढ़ियों से निकलते हैं।

मंदिर में विराजमान भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग बहुत ही शक्तिशाली है। कहा गया है कि यहां आकर अगर भोलेनाथ की पूजा की जाय तो सभी मनोरथ पूरे होते हैं।

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