रीवा के सलमान ने कुछ अलग करने की चाह में शुरू किया खुद का व्यवसाय, प्रतिमाह कर रहे 1 लाख से अधिक की इनकम

मन में अलग कुछ अलग करने की इच्छा हो तो परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो मिंंजल मिल ही जाती है।

Update: 2022-05-02 05:26 GMT

मन में अलग कुछ अलग करने की इच्छा हो तो परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो मिंंजल मिल ही जाती है। कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है। रीवा शहर के वार्ड 1 निपनिया निवासी मो. सलमान ने। आज की स्थिति यह है कि सलमान जहां खुद का व्यवसाय प्रारंभ कर न सिर्फ एक लाख से अधिक की इनकम कर रहे हैं वहीं कई लोगों के रोजगार का जरिया भी वह बने हैं। सलमान बताते हैं कि वह कागज का का कप बनाते हैं। प्लास्टिक के कप के जहां कई नकरात्मक परिणाम सामने देखने को मिलते हैं वहीं कागज का कप से किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता।

कैसे मिली प्रेरणा

सलमान की माने तो वह अपने पढ़ाई के समय ही समझ गए थे कि नौकरी की अपेक्षा खुद का व्यवसाय जहां प्रगति की राह खोल देगा वहीं इससे वह कई लोगों के जीविकोपार्जन का माध्यम भी बन सकेंगे। लेकिन क्या बिजनेस शुरू करे, यह समझ में नहीं आ रहा था। इसी कड़ी में एक बार वह किसी काम से दिल्ली गए जहां प्लास्टिक के कप की जगह कागज के कप का इस्तेमाल किया जा रहा था। इसी एक चीज ने उनके दिमाग में इस बात की गांठ बांध दी कि उन्हें भी अब कागज के कप का ही व्यवसाय करना है। रीवा जिले में कागज के कप बनाने वाले वह पहले व्यवसायी भी हैं।

मशीन खरीदने के लिए नहीं थे पैसे

ऐसा नहीं है कि सलमान को सब कुछ आसानी से मिल गया। सलमान की माने तो उनके पास मशीन खरीदने के लिए पैसे तक नहीं थे। लोगों ने भी मदद नहीं की। ऐसे में उन्हें शासन की मुख्यमंत्री उद्यम योजना के बारे में पता चला। थोडे़ से प्रयास के बाद उन्हें लोन मिल गया। देखते ही देखते उनका व्यवसाय शुरू हो गया। आज की स्थिति यह है कि वह कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखे। सलमान बताते हैं कि 6 साल पूर्व एक मशीन के साथ कार्य शुरू किया था। लेकिन व्यवसाय इतना बढ़ा कि अब उनके पास तीन मशीनें है।

इन जिलों में सप्लाई

सलमान ने बताया कि वह रीवा जिले के अलावा सीधी, सतना और सिंगरौली जिले में कागज से बने कप और गिलास की सप्लाई करते हैं। आने वाले दिनों में प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसकी सप्लाई करने की योजना है। लेकिन अभी कुछ कमियां भी है। जिसे पूरा करने के बाद ही ऐसा करना संभव हो पाएगा।

निराशा से उम्मीद का सफर

बताया गया है कि 2016 में आई बाढ़ में निपनिया मोहल्ले के जिस हिस्से में मशीन लगाई गई थी वहां पानी भर गया था। पानी भरने से मशीन पूरी तरह से खराब हो गई थी। एक बार तो वह पूरी तरह से निराश हो गए। लेकिन उन्होने हार नहीं मानी। फिर से प्रयास करते हुए अपने लक्ष्य की तरफ निरंतर आंगे बढ़ते चले गए।

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