रीवा के डॉ बीएल मिश्रा ने बताया कैंसर से बचाव का तरीका
21वी सदी में जहाँ एक ओर संक्रामक बीमारियों स्माल पाक्स, प्लेग, कालरा, पोलियो की समाप्ति हो चुकी है.
21वी सदी में जहाँ एक ओर संक्रामक बीमारियों स्माल पाक्स, प्लेग, कालरा, पोलियो की समाप्ति हो चुकी है वहीं अन्य संक्रामक बीमारियाँ टीबी, कुष्ठ, मलेरिया, डिफथीरिया, मीजल्स, रूबेला, टिटनस, कुकुर खॉसी, सिफलिस, गोनोरिया का कुछ वर्षो में उन्मूलन का भारत शासन का लक्ष्य है। दूसरी ओर असंचारी बीमारियों जैसे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, ह्मदय रोग व कैंसर जैसी बीमारियाँ बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। आमजन में कैंसर का नाम सुनने से पूरे परिवार के सदस्यों में दिल की धड़कन बढ़ जाती है। ऐसा प्रतीत होता है कि पूरे परिवार को कैंसर हो गया है। भारत में हर वर्ष छ: लाख से ज्यादा मौते कैंसर से होती हैं, जो होने वाली कुल मौतों का सात प्रतिशत है। वर्ष 2022 में 14 लाख कैंसर के रोगी चिन्हित किए गए हैं। देश में तेजी से बढ़ रही कैंसर के रोगियों में प्रमुख कारण अनुवांशिकी, पर्यावरण में बदलाव, जीवनशैली में परिवर्तन तथा संतुलित और पौष्टिक आहार न लेना है। सजग रहकर तथा संतुलित जीवनशैली अपनाकर कैंसर से बचाव किया जा सकता है।
इस संबंध में डॉ बीएल मिश्रा ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय को सचेत करते हुए कहा है कि पुरूषों में फेफड़ों, होंठ व मुख कैंसर तथा महिलाओं में स्तन कैंसर एवं सर्वाइकल कैंसर के सर्वाधिक होने की आशंका है। मनुष्य के जीवन काल में लगभग हर पाँचवे व्यक्ति को कैंसर का खतरा रहता है। देश में तम्बाकू उत्पादों के सेवन के कारण फेफड़े तथा मुख कैंसर के सर्वाधिक मामले सामने आए हैं। तम्बाकू के सेवन से होने वाले कैंसर से 10 लाख से अधिक व्यक्तियों की मौत होती है। तीस वर्ष से अधिक आयु के लोगों में ब्लड प्रेशर, डायबिटीज तथा कैंसर की शीघ्र पहचान और इलाज के लिए भारत सरकार द्वारा एनसीडी कार्यक्रम चलाया जा रहा है। सभी को इस योजना का लाभ लेना चाहिये। यदि किसी व्यक्ति को लगातार बुखार आना, खांसी होना, वजन कम होना, शरीर में गांठ होना, मुख या अन्य अंग में घाव न भरने वाले छाले होने की शिकायत हो तो चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। महिलाओं के स्तन में गॉठ या घाव महसूस होना, माहवारी में ज्यादा रक्तस्त्राव होना, बदबूदार पानी आना आदि की तकलीफ है तो शीघ्र चिकित्सक से संपर्क करना चाहिये। बीमारी के गंभीर होने से पूर्व जॉच व इलाज होना आवश्यक है। कैंसर के प्रति जागरूकता और नियमित टेस्ट कराने से हम दो तिहाई व्यक्तियों को कैंसर से बचा सकते हैं।
आज हमारी सुविधाओं व रहन सहन में काफी सुधार हुआ है। किन्तु हमें कैंसर से बचने के लिये अपनें जीवनशैली में परिवर्तन करना होगा। यथासंभव तनाव से बचे, भरपूर नीद और संतुलित आहार लें। थोड़ा-थोड़ा खाना चार बार में खाएं। भोजन में हरी सब्जी और फल अवश्य लें। प्रतिदिन 30 मिनट योगाभ्यास और एक्सरसाइज करें। तम्बाकू, सिगरेट व शराब के सेवन से बचें। अपनी आयु और ऊँचाई के अनुसार शरीर के वजन को संतुलित रखें। जंक फूड तथा नमक-शक्कर का अधिक सेवन न करें। आज आवश्यकता है कि रीवा जिले को तम्बाकू मुक्त बनाया जाये। समस्त चिकित्सक, समाजसेवी, जन प्रतिनिधि व आमजन से अपील है कि वह तम्बाकू का सेवन न करें, मेहमानों को न परोसें। घर में तम्बाकू न रखें व एक जन आन्दोलन की तरह इस अभियान को चलाया जाय, ताकि हमारी अगली पीढ़ी नशामुक्त व कैंसर मुक्त बन सके।