रीवा में खुद बिना मास्क लगाए शिवराज की पुलिस काट रही है मास्क न लगाने वालों के चालान, देखिए वीडियो...
रीवा. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज बिना मास्क वालों पर कार्रवाई की बात करते हैं. शायद रीवा पुलिस ही ऐसी है जिसे मास्क न लगाने की विशेष छूट
रीवा. स्वयं प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी देश की जनता से मास्क लगाने की अपील करते हैं, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज बिना मास्क वालों पर कार्रवाई की बात करते हैं. शायद रीवा पुलिस ही ऐसी है जिसे मास्क न लगाने की विशेष छूट मिली हुई है, पर उन्हें बिना मास्क लगाने वालों के चालान काटने का लाइसेंस जरूर मिला हुआ है.
रीवा जिले में कुछ पुलिसकर्मी ऐसे भी हैं जो खुद खाकी को दागदार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़तें. क़ानून के रखवाले होने के चलते ये खुद को ही कानून समझने लगते हैं, और सारे नियमों को ताक में रखकर सिर्फ आम जनता को सबक सिखाने सड़क पर उतर पड़ते हैं. ऐसे ही एक पुलिसकर्मी की करतूत कैमरे में कैद हो गई, जब वह रीवा शहर के ए जी कॉलेज तिराहे पर मास्क और हेलमेट न लगाने वालों पर चालानी कार्रवाई कर रहा था, आश्चर्य की बात तो यह थी कि इस पुलिसकर्मी ने खुद भी कार्रवाई करते समय मास्क नहीं लगा रखा था.
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ऐसे में एक व्यक्ति पर उसने कार्रवाई की तो उस व्यक्ति ने कार्रवाई के बाद पुलिसकर्मी का ही वीडियो बनाना शुरू कर दिया, जिस पर कथित तौर पर उससे मोबाइल छीन कर वीडियो को डिलीट कर दिया गया, वही पर मौजूद एक समाज सेवी ने इसका वीडियो बनाया एवं पुलिसकर्मी से मास्क न लगाने की वजह पूंछा. पहले तो पुलिसकर्मी सोशल डिस्टन्सिंग के नियम का हवाला देने लगा, इसके बाद उसके द्वारा समाजसेवी से कहा गया 'जो कार्रवाई करना हो करो'.
शिवराज सरकार की पुलिस क्या खुद को क़ानून से ऊपर समझती है? खुद नियमों का सबसे अधिक उल्लंघन अक्सर पुलिसकर्मी ही करते नजर आते हैं. कई पुलिसकर्मी आज भी बिना मास्क के नजर आ रहें हैं, जबकि रीवा जिले में स्वास्थ्यकर्मियों के बाद सबसे अधिक पुलिसकर्मी ही कोरोना से संक्रमित हो रहें हैं. इसके अलावा हर नुक्कड़ चौराहे पर हेलमेट की चेकिंग लगाकर वे आम जनता पर चालानी कार्रवाई तो करते हैं, पर अधिकाँश पुलिसकर्मी खुद बिना हेलमेट के वाहन चलाते नजर आते हैं. अब देखना है कि रीवा पुलिस कप्तान किस तरह से अपने पुलिसकर्मियों को नियम का पाठ पढ़ाते हैं.
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पुलिस अधीक्षक को अपना रिश्तेदार बताने वाला आरक्षक लाइन अटैच
ऐसा नहीं है कि ऐसे पुलिसकर्मियों से सिर्फ जनता परेशान है. यहाँ खुद पुलिस अधीक्षक अपने ही पुलिसकर्मी से परेशान हैं. निजी लाभ के लिए जिले के एक आरक्षक ने खुदको एसपी राकेश सिंह का रिश्तेदार ही बता दिया. हांलाकि जब इसकी जानकारी एसपी को मिली तो उन्होंने फ़ौरन आरक्षक को लाइन अटैच करा दिया. साथ ही यह भी कहा कि यहाँ मेरे कोई रिस्तेदार नही है, बल्कि पूरे जिले के लोग मेरे अपने है.