रीवा: मेडिकल कालेज में सहायक प्राध्यापक के निलंबन पर कुर्मी, कुशवाहा समाज संगठनों ने उठाए सवाल, कमिश्नर-कलेक्टर को घेरा
रीवा (विपिन तिवारी) . श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के सहायक प्राध्यापक राकेश पटेल के निलंबन की कार्रवाई पर संगठनों ने सवाल खड़े किए हैं। एसजीएमएच में मृतक विवेक कुशवाहा के मामले में अफसरों ने ड्यूटी डॉक्टर को नियम-कायदे की अनदेखी कर आनन-फानन में सस्पेंड कर दिए जाने का संगठनों ने सवाल उठाए। मंगलवार दोपहर शहर के कई सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने कलेक्ट्रेट से कमिश्नरी तक संकेतिक प्रदर्शन किया।
इस दौरान पदाधिकारियों चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को संबोधित ज्ञापन देकर उच्चस्तरीय जांच कराने और निलंबन तत्काल वापस लेने की मांग उठाई। कमिश्नर राजेश कुमार जैन ने संगठनों को दिलासा दिलाया कि जांच पूरी पारदर्शिता से होगी। जिम्मेदार बख्से नहीं जाएंगे।
मेडिकल कालेज के सहायक प्राध्यापक डॉ राकेश पटेल के निलंबन की कार्रवाई को लेकर ओबीसी महासभा, महाकाल, सरदार सेना, ओबीसी, क्रांतिकारी युवा परिषद, कुर्मक्षत्रिय, युवा कांग्रेस, युवा एकता, मूलनिवासी संघ्ज्ञ, बामसेफ कर्मचााी कल्याण महासंघ, मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग कर्मचारी संगठन आदि संगठनों के पदाधिकारी मेडिकल कालेज की निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की आवाज बुलंद की। कमिश्नर को ज्ञापन देकर मेडिकल कालेज के अधिष्ठाता के द्वारा आनन फानन में कराई गई जांच न्यायपूर्ण नहीं है। मामले की उच्चस्तरीय जांच कराया जाए। डॉक्टर राकेश पटेल का निलंबन तत्काल वापस लिया जाए।
ड्यूटी डॉक्टर की जिम्मेदार इलाज है न कि मृतक को टैग लगाने
संगठनों ने कमिश्नर से कहा कि मेडिसिन विभाग में ड्यूटी डॉक्टर को दोषी मानकर निलंबित कर दिया। डॉक्टर की प्राथमिक जिम्मेदारी मरीज का इलाज एवं स्वास्थ्य की देखभाल करना है। मरीज के मृत्यु उपरांत जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन व अन्य कर्मचारियों की होती है। मृतक का शव कहां भेजना है, कैसे भेजना है और कहां शिफ्ट करना है। यह जिम्मेदारी ड्यूटी डॉक्टर की नहीं होती है। डॉक्टर संक्रमण से लड़ रहा है। जान जोखिम में डाल कर ड्यूटी कर रहा है।
मेडिकल कालेज में विवेक कुशवाहा के मामले में निलंबित ड्यूटी डॉक्टर राकेश पटेल ने सोशल मीडिया पर निलंबन का दर्द बयां करते हुए अस्पताल प्रबंधन की कार्रवाई पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने अपने फेसबुक लिखा है कि दोस्तों आज मुझे उस बात के लिए निलंबित किया गया। जिसमें मेरी कोई गलती नहीं है। मरीज की आखिरी सांस तक जवाबदारी मेरी है। मैं ड्यूटी पर हूं, अगर मरीज की डेथ हो जाती है, उसके बाद की जवाबदेही प्रशासन की है। उसे टैग लगाना, मच्र्युरी में शिफ्ट करना है, पीएम करना है। नगर निगम को देना है कि परिजनों को देना है। ये तय करना मेरा काम नहीं है। मैने कोरोना की ड्यूटी ३ अगस्त से ९ अगस्त तक पूरी निष्ठा व इमानदारी से की। फिर भी मुझे सस्पेंड करके संजय गांधी अस्पताल के कुछ लोगों का भला हो सकता है तो मेरे लिए ये भी खुशी की बात है। आप लोग अपना ख्याल रखिए, मास्क पहनिए, घरों में रहिए। दूरी बनाकर रखिए,