रीवा: भाजपा सांसद जनार्दन अपनी ही पार्टी की सरकार की व्यवस्था से खफा, संभागायुक्त के निलंबन की उठाई मांग
रीवा (विपिन तिवारी) । दो बार चुनाव जीत कर आए रीवा सांसद अपने तल्ख बयानों की वजह से एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने अपनी ही पार्टी की सरकार द्वारा दी गई व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए संभागायुक्त पर गंभीर आरोप लगाया है। आरोप में सांसद ने ट्वीट किया है। साथ ही सीएम शिवराज सिंह चौहान को भी टैग करते हुए अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं। उन्होंने लिखा है कि कोविड सेंटर चिरहुला में मरीजों से वीडियो कालिंग से बात करते समय विवेक कुशवाहा को याद कर मन व्यथित हो गया।
संजयगांधी अस्पताल कमिश्नर के अधीनस्थ है, इस तरह की व्यवस्था होती तो विवेक के परिजनों को भी जानकारी मिलती रहती। इस बड़ी घटना के लिए पूर्णत: कमिश्नर जिम्मेदार हैं। सांसद का यह ट्वीट ऐसे समय आया है जब विपक्ष एवं अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा संजयगांधी अस्पताल की व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। इस बयान से विपक्ष को और बल मिला है और सांसद के बयान को सही बताते हुए सरकार को घेरने का काम कर रहे हैं।
करीब सप्ताह भर पहले मऊगंज के विवेक कुशवाहा नाम के युवक की मौत के बाद अस्पताल से शव गायब हो गया था। अस्पताल प्रबंधन एक बुजुर्ग का शव परिजनों को सौंप रहा था। जिस पर भारी बवाल हुआ था, लगातार अलग-अलग संगठनों द्वारा उच्च स्तरीय जांच की मांग की जा रही है। संभागायुक्त ने डॉ. राकेश पटेल ड्यूटी डाक्टर को निलंबित कर दिया है। इस पर भी कुछ संगठनों ने डाक्टर के बचाव में ज्ञापन दिया है।
- कांग्रेस ने कहा, सांसद ने आइना दिखाया है
सांसद जनार्दन मिश्रा के इस बयान को कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने मुद्दा बना दिया है। कांग्रेस के शहर अध्यक्ष गुरमीत सिंह मंगू ने कहा है कि शिवराज सरकार के दावों की पोल सांसद ने खोल दी है। विवेक कुशवाहा के परिजन परेशान हैं तो आम लोग भी संजयगांधी अस्पताल की व्यवस्था से डरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह बात अलग है कि सांसद की बातों को शिवराज(मामा) कितनी गंभीरता से लेते हैं। वहीं कांग्रेस के पीसीसी मेंबर कुंवर सिंह, विनोद शर्मा, अशफाक अहमद सहित अन्य नेताओं ने भी कहा है कि सांसद ने सरकार की व्यवस्था को आइना दिखाया है। घटना की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
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हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को जांच सौंपने की उठाई मांग
संजयगांधी अस्पताल से युवक का शव गायब होने के मामले में सांसद जनार्दन मिश्रा ने संभागायुक्त के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अब तक संभागायुक्त को घटना का जिम्मेदार बता रहे सांसद ने न्यायिक जांच कराने के साथ ही संभागायुक्त के निलंबन की मांग की है। उन्होंने कहा है कि कोविड-19 के तहत भर्ती मरीजों को शासकीय मापदंडों के अनुरूप व्यवस्था उपलब्ध नहीं होने की जिम्मेदारी संभागायुक्त की इसलिए बनती है कि वह अस्पताल के प्रशासक हैं। मामले की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराने के लिए उच्चतम न्यायालय के रिटायर्ड जज से न्यायिक जांच कराने की मांग की है।सांसद मिश्रा ने कहा है कि अस्पताल की कार्य पद्धति पर समाज में तरह-तरह के प्रश्न उठ रहे हैं। यह घटना पूरे देश में चिकित्सा जगत के लिए कलंकित करने वाली है। एक सफाई कर्मचारी को बर्खास्त कर अपनी अक्षमता पर पर्दा डालने और खुद को बचाने के लिए प्रशासकीय जांच संभागायुक्त ने बैठाई है, परंतु रीवा अपर कलेक्टर अपने से बड़े अधिकारी की जांच कैसे करेंगी। सांसद ने यह भी सवाल किया है कि यदि किसी रसूखदार परिवार का शव गायब होता तो क्या संभागायुक्त बच पाते। चिरहुला में कोविड केयर सेंटर में गलतियों को सुधारने के प्रयास किए जा रहे हंै लेकिन संजयगांधी अस्पताल में ऐसी व्यवस्थाएं नहीं हैं।
यह भी आरोप लगाया कि कोरोना संक्रमण की इस आपात स्थिति के बाद भी आवश्यकता के अनुरूप व्यवस्थाएं अस्पताल में नहीं दी गई। अस्पताल के अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को भी बदलने की मांग उठाई है। अस्पताल से शव गायब होने के मामले में इसके पहले सांसद जनार्दन मिश्रा ने ट्वीट कर संभागायुक्त को जिम्मेदार बताया था, अब न्यायिक जांच के साथ ही निलंबन की मांग भी उठा दी है। इस मामले में विपक्ष सांसद की मांगों पर कार्रवाई की मांग उठा रहा है।