मशिमं की लापरवाहीः थ्योरी में 7 नंबर मिले थे, पुर्नमूल्यांकन के बाद 62 हुए, इस प्रकार प्रदेश के 510 विद्यार्थियों के नंबर बढ़े
माशिमं की लापरवाही के कारण कितने विद्यार्थी मेन्टल स्ट्रेस में रहे होंगे इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
भोपाल: प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा मंडल की लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। माशिमं की लापरवाही के कारण विद्यार्थियों को बहुत ही कम नंबर मिले। यहां तक की कई छात्र फेल भी हो गए। माशिमं की लापरवाही के कारण कितने विद्यार्थी मेन्टल स्ट्रेस में रहे होंगे इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी कड़ी में दसवीं के सोसल स्टडी पेपर में रिषभ साहू को कुल 26 नंबर मिले। इसमें से थ्योरी के नंबर 7 थे। रिषभ के पिता प्रदीप साहू भी शिक्षक है। उन्होने रिटोटलिंग के लिए बोर्ड में आवेदन दिया। 9 जून को रिषभ की कॉपी जब घर पहुंची तो पता चला थ्योरी में उसके नंबर 7 से बढ़ कर 62 हो गए। यह कॉपी रीवा संकुल केन्द्र में जांची गई थी। रिषभ के अलावा प्रदेश में 510 विद्यार्थी के साथ ऐसा हुआ है। जिनमें रीटोटलिंग के बाद नंबर बढ़ाए गए हैं। गौरतलब है कि कक्षा 10वीं में 14 हजार कांपियां जांचने के लिए आवेदन आए। जांच के बाद इनमें से 250 कॉपियों में नंबर बढ़ाए गए। कक्षा 12वीं में 26500 आवेदन आए। जिसमें से 260 कॉपियों के नंबर बढ़ गए।
1 नंबर पर 100 रूपए का जुर्माना
गलत ढंग से कॉपी जांचने और कम नंबर आने के बाद अधिकतर विद्यार्थी अवसाद में चले जाते है। लेकिन ऐसे लापरवाही से उत्तरपुस्तिका जांचने वाले शिक्षकों को एक नंबर गलत देने पर केवल 100 रूपए का जुर्माना देना होगा। एमपी बोर्ड के पीआरओ मुकेश मालवीय का कहना है कि रीटोटलिंग के बाद सुधार का आंकड़ा कम हुआ है। रिषभ के अभिभावकों का कहना है कि इस लापरवाही से बच्चे का भविष्य खराब होता। इसके लिए वे न्यायालय की शरण में जाएंगे।