International Women's Day / बंधनों को तोड़ आसमान चूमने निकलीं थीं 'रीवा की अवनी' और बन गईं देश की पहली महिला फाइटर पायलट

International Women's Day / 8 मार्च को दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है. महिलाओं को भले ही कुछ जगहों में पुरुषों से कमतर आंका जाता है. लेकिन महिलाएं जिन कामों को अपने हांथ में ले लें, वो काम वो पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा अच्छे से करती हैं. ऐसे ही बंधनों को तोड़ कर आसमान को चूमने निकलने वाली महिलाओं में एक रीवा की अवनी भी शामिल हैं. अवनी की गिनती आज देश की पहली महिला फाइटर पायलट (India's First female fighter pilot Avani Chaturvedi) के रूप में होती है.

Update: 2021-03-08 12:04 GMT

International Women's Day / 8 मार्च को दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है. महिलाओं को भले ही कुछ जगहों में पुरुषों से कमतर आंका जाता है. लेकिन महिलाएं जिन कामों को अपने हांथ में ले लें, वो काम वो पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा अच्छे से करती हैं. ऐसे ही बंधनों को तोड़ कर आसमान को चूमने निकलने वाली महिलाओं में एक रीवा की अवनी भी शामिल हैं. अवनी की गिनती आज देश की पहली महिला फाइटर पायलट (India's First female fighter pilot Avani Chaturvedi) के रूप में होती है.

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सतना जिले में जन्मीं और रीवा में पली बढ़ी अवनी चतुर्वेदी बचपन से ही आसमान चूमने का सपना देखती थी. शुरू से ही पढाई में अव्वल रहीं अवनी ने पहले इंजीनियरिंग की पढाई की. इसके बाद वो उस रास्ते में निकल पड़ीं जहां कभी किसी महिला तो दूर किसी पुरुष ने भी नहीं सोचा होगा कि एक महिला फाइटर प्लेन उड़ाएगी. अवनी की डगर आसान नहीं थी, क्योंकि फाइटर प्लेन उड़ाने के लिए एक पायलट के तौर पर ही देखा जाता है, न की महिला या पुरुष. उन्होंने दृढ़संकल्प के साथ इस रास्ते में चलना तय किया था और उनकी मेहनत रंग लाई. 

अकेले मिग-21 बाइसन विमान उड़ाकर बनीं पहली महिला फाइटर पायलट

रीवा की अवनी चतुर्वेदी, के साथ मोहिना सिंह और भावना कान्त देश की पहली वीमेन फाइटर पायलट बनीं. यह महिला फाइटर पायलट का पहला दस्ता था. इस दस्ते में से सबसे पहले फाइटर जेट अवनी ने उड़ाया. अकेले मिग-21 बाइसन विमान उड़ाकर पहली महिला फाइटर पायलट बनने का कीर्तिमान उन्होंने स्थापित किया. 

यह रास्ता इतना आसान था? बिल्कुल नहीं. एक फाइटर जेट उड़ाने के लिए जो मापदंड तय थे उन्हें पूरा करना ही था. सिर्फ इसलिए कि अवनी एक महिला है, कोई रियायत नहीं मिली. अवनी ने कहा-प्रकृति ने महिला और पुरुषों को समान बनाया है. खासतौर पर महिलाओं को धैर्य असीमित दिया है. महिलाओं में सहनशीलता, जज्बा और हिम्मत भी पुरुषों से कम नहीं होता है. जब प्रकृति ने हमें बराबर के बनाया है तो खुद को महिलाएं कमतर क्यों आंकें. दुनिया अब महिलाओं के लिए अवसरों का हर दरवाजा खोल रही है. महिलाओं की जिम्मेदारी है कि बंधनों को तोड़ें और दुनिया को बताएं, साबित करें कि उनकी ताकत असीमित है. मैंने भी वही किया.

ख़ास बात तो यह है कि उनके हर निर्णय पर उनके माता-पिता और भाई ने बाखूबी उनका साथ देते हुए हौसलाअफजाई किया था. आज अवनी हजारों फ़ीट ऊँचे बादलों को चूमती हैं, देश की सेवा के लिए तत्पर दिखती हैं. अवनी चतुर्वेदी ने देश भर को काफी प्रभावित किया है. 

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