घिनहाइये आप रीवा में हैं: स्वच्छता के मामले में अगर रीवा की रैंक 55 है, तो भाईसाब देश की हालत बहुत खराब है
स्वच्छ भारत अभियान में एमपी के रीवा जिले को पूरे देश में इस बार 55वीं रैंक मिली है. सवाल ये है कि ये स्वछता ससुरी रहती कहां हैं? दिखाई ही नहीं देती
स्वछता सर्वेक्षण 2022 में रीवा की रैंक: मध्य प्रदेश के रीवा जिले के नगर निगम (RMC) में जश्न का माहौल है. खुशियां मनाई भी क्यों न जाएं, पूरे भारत में रीवा ऐसा 55वां शहर है जो सबसे स्वच्छ घोषित हुआ है. मगर स्वछता सर्वेक्षण 2022 में रीवा की रैंक 55 आने पर ख़ुशी भी होती है और दुःख भी होता है. क्योंकि अगर Rewa City पूरे इंडिया में 55वां सबसे साफ़-सुथरा शहर है तो भाईसाब देश के अन्य शहरों की हालत बहुत खराब है.
जब स्वछता सर्वेक्षण 2022 के नतीजे आए तो पहले रीवा की रैंक 75 बताई गई, बाद में जब कमिश्नर साहेब ने स्टैटिस्टिक्स देखे तो मालूम हुआ कि ODF++ के 400 अंक तो जोड़े ही नहीं गए. उन्हें जोड़ने के बाद रीवा की रैंक 55 हो जाती है. रीवा को मिलने थे 4850.86 अंक मगर दिए गए सिर्फ 4451 नंबर। जिसे जल्द अपडेट किया जाएगा। और रीवा शिमला से ज़्यादा स्वच्छ साबित हो जाएगा।
ताज्जुब इस बात का नहीं है कि रीवा शहर को देश में 55वीं रैंक कैसे मिली, बल्कि ये हैरानी है कि बाकी शहरों की हालत क्या होगी, जब 55 वीं रैंक लाने वाले रीवा की ऐसी स्थिति है तो इससे नीचे वालों की परिस्थिति सोचकर ही मन घिनहा जाता है.
घिनहाइये आप रीवा में हैं
एक काम करिये सबसे पहले दिल में हाथ रखकर कहिये कि रीवा स्वच्छ शहर है... कर लिए? बधाई हो झूठी कसम खाने पर आपको हार्ट अटैक मार सकता है. जैसे लखनऊ में एक डायलॉग बड़ा फेमस है ''मुस्कुराइए आप लखनऊ में हैं'' वैसा ही एक डायलॉग रीवा के लिए भी बनता है ''घिनहाइये आप रीवा में हैं'' हम इतना कटु शब्दों का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं? आपको धीरे-धीरे सब पता चल जाएगा।
कागजी सफाई से शहर स्वच्छ नहीं होता साहेब!
महात्मा गांधी ने एक सपना देखा था ''भारत को स्वच्छ बनाने का सपना'' उस सपने को साकार करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री ने साल 2015 से 'स्वच्छ भारत मिशन' की शुरुआत की थी. दुर्भाग्य से यह मिशन कॉम्पिटिशन में बदल गया और अच्छे नंबर लाने के चक्कर में पूरा फोकस जमीन से उठकर फाइलों में पहुंच गया. जिसके स्टैट्स अच्छे उसकी अच्छी रैंक। भले सड़क की बजबजाती नाली में सूअर लोट रहे हों, भले ही हर एक गली में कचरे का ढेर लगा हो, भले ही लोग खुले में गंध मचाए हों लेकिन कागज में सब फिट है तो शहर हिट है.
जब गन्दगी है तो रीवा को अच्छी रैंक कैसे मिली?
रीवा नगर निगम उस स्कूल के बैक बेंचर जैसा है जो तभी पढाई करता है जब परीक्षा शुरू होने वाली रहती है. तब प्रोजेक्ट पूरे हो जाते हैं, सिलेबस कम्प्लीट हो जाता है और बच्चा पास हो जाता है. कभी कभी फर्स्ट डिवीजन भी आ जाता है. लेकिन परीक्षा के बाद क्या होता है? दिमाग में निल्ल बटे सन्नाटा! यही हाल RMC का है. जब सर्वेक्षण का वक़्त आता है तो पूरे शहर में दिन-रात सफाई होती है. बंद नाले खुल जाते हैं. कचरा वाहन दिन में 4 बार गुजरते हैं. ODF पॉइंट में लोगों को खुले में शौच के लिए रोका जाता है. सब चकाचक हो जाता है. और सर्वेक्षण के बाद क्या होता है? वही बजबजाती नाली, कचरे से भरी हुई सड़कें, हर तरफ मलिच्छ और खुले में शौच.
शायद अधिकारीयों को कोई मिसअंडरस्टैंडिंग हुई है
स्वच्छ भारत मिशन का मकसद शहरों के बीच सफाई प्रतियोगिता नहीं है बॉस... ये मिशन है, शहरों को स्वच्छ बनाने का. सिर्फ सर्वेक्षण के वक़्त नहीं बॉस... पूरे साल 24x7x365 सफाई रखने का अभियान है साहेब। ऐसे थोड़ा न होता है कि रैंक आ गई सब साफ़ हो गया. कहां हुआ? खाओ कसम अब लोग OD पॉइंट में हगने नहीं जाते, खाओ कसम अब सड़कों में कचरा कोई नहीं फेंकता, खाओ कसम आपके मोहल्ले की गलियों से लेकर मुख्य सड़क में कचरे का ढेर नहीं पड़ा है. नहीं खाओगे भाई क्योंकि जानते हो वास्तविकता में रीवा स्वच्छ नहीं है.
इंदौर No 1 क्यों है?
स्वछता सर्वेक्षण में इंदौर हमेशा टॉप में क्यों आता है. न सिर्फ इंदौर नगर निगम की फाइल में बल्कि धरातल में ये शहर नीट एंड क्लीन है. क्यों है? क्योंकि वहां के रहने वाले लोग अपने शहर से मुहब्बत करते हैं. वो न इंदौर को गंदा करते हैं न करने देते हैं. वहां का प्रशासन इतना मुस्तैद है कि कोई गुटखा खाकर पच्छ से थूक दे तो उसको पकड़कर उसी से साफ़ करवा देते हैं, चालान काटते हैं अलग से. ऐसे कोई शहर इंदौर नहीं बन जाता। झाड़ू उठाकर सड़क में मारना होता है, कागज में कलम चलाने से कोई शहर स्वच्छ नहीं बनता।
और रीवा में क्या सीन है, ये तो हम सब जानते हैं. घर साफ़ रहना चाहिए भले सड़क में गू पड़ा हो, जहां मन पड़ा वहीं खड़े होकर बहा दिए.. घर की छत से सीधा सड़क में कचरा फेंक दिए.. गाड़ी आई तो ठीक वरना नाली में पूरी गन्दगी उड़ेल दिए. और नगर निगम क्या करता है? जहां एक दिन सफाई हो गई वहां दुबारा झाँकने नहीं गए, जो नाली साफ कर दी उसको पराया मान लिए, जहां ज़्यादा ही गन्दगी है उसे इग्नोर कर दिए.
जनता कचरा फेंकने से नहीं सुधर रही है तो काटो चालान! लेकिन आप चालान भी उसका काटते हैं जो गरीब सड़क में रोजी रोटी के लिए ठेला लगाता है.
इसे कहते हैं स्वछता?
व्हाट अ ब्यूटीफुल सीन
#ये सूअर पालन केंद्र नहीं है. पार्किंग है प्रकाश चौराहे की.
कृपया कचरा न फेंके यहां सूअर रहते हैं
#नगरिया में मंदिर है, यह उसी मंदिर परिसर का हिस्सा है. लिखा है कचरा फेंकने पर 500 का जुर्माना होगा
गू-शाला
#साल 2019 के सर्वक्षण में ही सड़कों के किनारे बने डम्पिंग पॉइंट को हटाने के आदेश थे. ये यहां क्या कर रहा?
हमारा देश साफ़ हो, हम सब का हाथ हो : RMC
मच्छर पालन केंद्र रीवा
#ये दिलकश नजारा रीवा कोर्ट के थोड़ा आगे, चाय सुट्टा बार के ठीक पीछे का है
कितना साफ़ वातावरण है
#इसे कहते हैं कचरा कलेक्शन
ऐसी 4-5 नहीं सैकड़ों तस्वीरें हैं, शहर के हर गली-हर मोड़ में गन्दगी है. बात रही OD पॉइंट और रीवा के ''खुले में शौच मुक्त'' होने की तो भइया हम किसी की हगते हुए फोटो ना खींचगे। बाकी ऐसी ही स्वच्छ रीवा की इतनी तस्वीरें हैं कि डाल दें तो गूगल भी उल्टी कर दे.