रीवा कमिश्नरी का हालः जिसके खिलाफ हुई शिकायत, उसी को सौंप दी जांच

Rewa News: मध्यप्रदेश के रीवा कमिश्नरी में की गई शिकायत का एक मामला आपको भी चौंका सकता है। रीवा कमिश्नर के पास जिस अधिकारी की शिकायत की गई थी, अब उसी अधिकारी को जांच भी सौंप दी गई है।

Update: 2023-09-13 11:12 GMT

मध्यप्रदेश के रीवा कमिश्नरी में की गई शिकायत का एक मामला आपको भी चौंका सकता है। रीवा कमिश्नर के पास जिस अधिकारी की शिकायत की गई थी, अब उसी अधिकारी को जांच भी सौंप दी गई है। यानी कि अपनी शिकायत की वह स्वयं जांच करेंगे। जबकि शिकायतकर्ता ने विभाग से इतर संभाग स्तर से जांच कराने का अनुरोध भी किया था। किंतु इसके बाद भी शिकायत उसी अधिकारी तक पहुंच गई।

क्या है मामला

मामला जनजातीय कार्य तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग सतना के जिला संयोजक कार्यालय में की जा रही स्थाई कर्मियों के नियमितीकरण से जुड़ा हुआ है। जिला संयोजक ने 24 जुलाई को स्थायी कर्मियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया की। जिसमें स्थाई कर्मी संघ के अध्यक्ष अमर सेन सहित रन्नू चौधरी, अर्चना कोल ने अनियमितता के आरोप लगाए। इनके द्वारा मामले की शिकायत संभागायुक्त अनिल सुचारी से की गई।

यह की थी शिकायत 

स्थाई कर्मी संघ के अध्यक्ष अमर सेन सहित अन्य लोगों ने अनुसूचित जाति विकास विभाग सतना के जिला संयोजक के खिलाफ शिकायत कमिश्नर से की गई थी। जिसमें इनके द्वारा कहा गया था कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा राजपत्र में स्पष्ट किया गया है कि 26 जनवरी 2001 के बाद तीन संतान वाले किसी भी शासकीय नौकरी में लाभ या नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे किंतु जिला संयोजक अविनाश पाण्डेय ने इसकी अनदेखी की। जिला संयोजक ने अपात्र लोगों के नाम भी नियमितीकरण में शामिल कर लिए। दिलीप कोरी, पप्पू भूमिया, खुशबू सहित अन्य लोगों की समग्र आईडी से जांच की जा सकती है कि इन सभी की तीन या उससे अधिक संतानें हैं। यह भी बताया गया कि पूर्व में नियमितीकरण संबंधी जब विभाग स्तर पर अनुमति चाही गई थी तो केवल 36 कर्मचारी परीक्षण उपरांत पात्र पाए गए थे। जिसमें से कई लोगों ने फर्जी अंकसूची भी लगाई है। जबकि वरिष्ठता सूची में इनकी योग्यता अलग है।

जिसकी शिकायत, उसी के पास पहुंच गया मामला

रीवा संभाग के कमिश्नर अनिल सुचारी से की गई शिकायत में यह लेख किया गया था कि मामले की जांच विभागीय न करवाकर तहसीलदार अथवा संभागीय कार्यालय से करवाई जाए। संभागायुक्त ने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए शिकायत पत्र को टीएल (टाइम लिमिट) मार्क करते हुए जांच के लिए स्थापना को दिया। जहां से जांच संभागीय उपायुक्त जनजातीय कार्य तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के पास पहुंची। किंतु यहां से शिकायत को जांच हेतु वापस जिला संयोजक जनजातीय कार्य तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग का मामला सतना को भेज दिया। ऐसे में जिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत की गई है उन्हीं के पास जांच के लिए भी यह मामला पहुंच गया है।

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