विंध्य के बाजारों से सिक्के गायब: रीवा-सतना में नहीं दिखते 1-2 रुपए के सिक्के, व्यापारियों की मनमानी के आगे प्रशासन बेबस

विंध्य के रीवा, सतना, सिंगरौली और सीधी जिलों के बाजारों से 50 पैसे तो दूर 1-2 रुपए के सिक्के भी गायब हो गए हैं.

Update: 2023-11-18 17:23 GMT

विंध्य के रीवा, सतना, सिंगरौली और सीधी जिलों के बाजारों से 50 पैसे तो दूर 1-2 रुपए के सिक्के भी गायब हो गए हैं. व्यापारियों ने बिना किसी आदेश के खुद ही सिक्कों का लेन-देन बंद कर दिया है. सालों बीत जाने के बावजूद भी शासन-प्रशासन ने भारतीय मुद्रा के इस अपमान पर आज तक किसी भी तरह का एक्शन नहीं लिया.

भारत में नोटबंदी (Demonetisation in India) के दौरान केंद्र सरकार और RBI ने 500 और 1000 के पुराने नोटों के लेन-देन को प्रतिबंधित किया था, लेकिन विंध्य के रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली जिलो के व्यापारियों ने तो इस नोटबंदी को सिक्काबंदी में बदल डाला. 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का आदेश होने के बाद से विंध्य में 1 और 2 रुपए के सिक्कों का भी प्रचलन बंद हो गया. व्यापारी तो 1 और 2 रुपए के सिक्के लेते ही नहीं और अब तो बैंक भी इन सिक्कों के लेन देन पर आनाकानी करते हैं.

भारतीय मुद्रा का अपमान है सिक्कों को न लेना

सबसे बड़ी बात यह है कि विंध्य में सिक्कों का प्रचलन बंद होते हुए लगभग 6 साल होने आ रहें हैं. कई जिलों में कलेक्टर आए-गए लेकिन प्रशासन की तरफ से किसी ने भी इस पर कोई एक्शन लेना उचित नहीं समझा. जबकि यह कृत्य सीधे तौर पर भारतीय मुद्रा का अपमान (Desecration of Indian Currency) है और ऐसा करने वालों के खिलाफ धारा 124क के तहत मामला दर्ज कर दंडात्मक कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है.

विंध्य के बाजारों से कब और कैसे गायब हुए सिक्के

दरअसल, 8 नवंबर 2016 से हुई नोट बंदी के दौरान आम जनमानस जब नोट बदलने के लिए बैंकों में पहुंचे तो बैंकों द्वारा उन्हें खुल्ले रुपयों की थैलियां थमाई गईं. इस कारण भारी तादाद में चिल्लर (खुल्ले पैसे) मार्केट में पहुंच गई. अब बैंक इन सिक्कों को जमा करने से यह कहकर इनकार कर देते हैं कि इन्हें गिनने के लिए उनके पास कर्मचारी नहीं है. सिक्कों की संख्या और न बढ़े इसलिए कुछ दुकानदारों ने सिक्के लेने से इनकार किया और इसी मनमानी ने धीरे-धीरे अफवाह का रूप लिया. जिसके कारण इन दिनों हर व्यक्ति सिक्का स्वीकार करने से परहेज कर रहा है. जबकि पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के सभी जिलों में एक-दो रुपए तो छोड़िये अभी भी 50 पैसे के सिक्कों का चलन हो रहा है. मध्यप्रदेश के भी कई जिलों में एक-दो के सिक्कों का लेन देन हो रहा है, लेकिन विंध्य के व्यापारियों ने मनमाने तरीके से सिक्कों का लेन-देन बंद कर दिया.

मुरैना कलेक्टर ने जारी किया था आदेश

ऐसे ही हालत नोटबंदी के बाद मुरैना जिले में भी हुए थें. व्यापारियों ने मनमाने तरीके से सिक्कों का लेन-देन बंद कर दिया था. इस पर मुरैना कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार ने नाराजगी जाहिर करते हुए सिक्कों को लेने में आनाकानी करने वालों पर धारा 124क के तहत मामला दर्ज कर दंडात्मक कार्रवाई किए जाने का आदेश जारी किया था. इसके बाद जिले में सिक्कों का प्रचलन फिर शुरू हो गया था.

क्या भारत में सिक्का ना लेने पर सजा हो सकती है?

सिक्का अधिनियम, 2011 की धारा 6 के तहत रिजर्व बैंक द्वारा जारी सिक्के भुगतान के लिए वैध मुद्रा हैं बशर्ते कि सिक्के को जाली नहीं बनाया गया हो. यदि कोई व्यक्ति या व्यापारी किसी भी सिक्के (यदि सिक्का चलन में है) को लेने से मना करता है तो उसके खिलाफ FIR दर्ज कराई जा सकती है. उसके खिलाफ भारतीय मुद्रा अधिनियम (ICA) व IPC की धाराओं के तहत कार्रवाई होगी. मामले की शिकायत रिजर्व बैंक में भी की जा सकती है. भारतीय दण्ड संहिता की धारा 489ए से 489इ के तहत नोट या सिक्के का जाली मुद्रण, जाली नोट या सिक्के चलाना और सही सिक्कों को लेने से मना करना अपराध है. इन धाराओं के तहत किसी विधिक न्यायालय द्वारा आर्थिक जुर्माना, कारावास या दोनों का प्रावधान है.

सिक्के या नोट बंद होने की अफवाह फ़ैलाने की सजा

जो लोग सही सिक्के को भी नकली बताकर अफवाह फैलाते हैं उनके लिए भी सजा का प्रावधान है. अफवाह फैलाने वालों पर आरबीआई के नियम के अलावा आईपीसी की धारा 505 के तहत भी मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा सकती है. इसमें अधिकतम 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है जबकि सिक्के को गलाना एक अपराध है जिसमें 7 साल की सजा हो सकती है.

किन सिक्कों को बंद किया गया है

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने 30 जून 2011 से बहुत ही कम वैल्यू के सिक्के जैसे 1 पैसे, 2 पैसे, 3 पैसे, 5 पैसे, 10 पैसे, 20 पैसे और 25 पैसे मूल्यवर्ग के सिक्के संचलन से वापस लिए गए हैं. इसलिए ये वैध मुद्रा नहीं हैं और कोई भी दुकानदार और बैंक वाला इन्हें लेने से मना कर सकता है. 50 पैसा और उससे अधिक के मूल्य वाला सिक्का अभी भारत में वैध सिक्का है और दुकानदार और पब्लिक उसको लेने से मना नहीं कर सकते हैं.

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